समर्पण निधि सही स्थान पर पहुंचे इसके लिए है त्रिस्तरीय पारदर्शी व्यवस्था

समर्पण निधि सही स्थान पर पहुंचे इसके लिए है त्रिस्तरीय पारदर्शी व्यवस्था

राम मंदिर के लिए निधि समर्पण अभियान अपने दूसरे चरण में है। अब छोटी राशि के कूपन भी काटे जा रहे हैं। रामभक्तों की समर्पण निधि सही स्थान पर पहुंचे इसके लिए श्रीराम  जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने त्रिस्तरीय व्यवस्था की है जो अत्यंत पारदर्शी भी है।

राशि संग्रहण के लिए 10, 100 और 1000 रुपये के कूपन छपवाए गए हैं तथा अधिक राशि के लिए रसीद बुक हैं। कोई 10 रुपये भी समर्पित कर रहा है तो उसका नाम, पूरा पता ओर मोबाइल नम्बर लिया जा रहा है और 2000 रुपये के ऊपर चैक द्वारा ली गई राशि हेतु पैन नम्बर भी लिया जा रहा है।

निधि समर्पण अभियान के दौरान समर्पित की गई राशि को जमा करवाने के लिए ट्रस्ट ने तीन बैंकों – स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा और पंजाब नेशनल बैंक के साथ करार किया है ।

इसके साथ ही ट्रस्ट ने एक वेब एप्लीकेशन भी डिजाइन की है। जो कार्यकर्ता बैंक में पैसे जमा करवाएंगे, उनका सबसे पहले इस वेब एप्लीकेशन पर रजिस्ट्रेशन होना आवश्यक है। जैसे ही रजिस्ट्रेशन होगा उस कार्यकर्ता (डिपॉजिटर) को एक यूनिक आईडी मिलेगी और कार्यकर्ता को वेब एप्लीकेशन अपने मोबाइल पर रजिस्ट्रेशन करते सA4य उपरोक्त तीनों में से कोई एक बैंक चुनना होगा।

डिपॉजिटर की सारी डिटेल ट्रस्ट ने संबंधित बैंक को उपलब्ध करवा दी है। डिपॉजिटर अपने ऐप में उसके पास कितनी रसीद और कूपन बुक हैं, की एंट्री करेगा।

इसके पश्चात संग्रहण वाली टोलियां संग्रहित की गई धनराशि और चेक इन डिपॉजिटर्स के पास लेकर आएंगी। अब डिपॉजिटर सबसे पहले उस राशि और चेक की एंट्री अपनी मोबाइल एप्लीकेशन पर करेंगे। जैसे ही चेक की एंट्री मोबाइल एप्लीकेशन पर होती है, समर्पणकर्ता के पास श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से प्राप्ति व आभार का एक संदेश पहुंचता है। इससे समर्पणकर्ता को पता चल जाता है कि उसकी राशि ट्रस्ट को मिल गई है।

निरीक्षण की त्रिस्तरीय व्यवस्था
1. संग्रह टोलियों के पास जितने कूपन व रसीद हैं, वे जिलाशः देकर प्राप्ति के हस्ताक्षर लिए गए हैं। एक निश्चित संख्या में संग्रह टोली के ऊपर एक संग्रहकर्ता है। इस प्रकार संग्रहण टोलियो ने कितना संग्रहण किया है इसकी जानकारी संग्रहकर्ता को है।
2. संग्रहकर्ता यह राशि और चेक डिपॉजिटर को देता है एवं रसीद प्राप्त करता है।
3. डिपॉजिटर एप पर एंट्री करवाकर बैंक में जमा करवाता है। जमा पर्ची की काउंटर फाइल जिला कार्यालय में भेजता है।इस प्रकार संग्रह टोलियों से संग्रहित राशि और बैंक की जमा पर्चियों का मिलान प्रतिदिन एप से किया जाता है।

इन तीनों की जिला प्रांत व क्षेत्र स्तर पर प्रतिदिन मॉनिटरिंग की जाती है तथा पूरी सूचना केंद्र को दी जाती है। इस प्रकार कहीं भी कोई भी व्यक्ति इस व्यवस्था में सेंध नहीं लगा सकता।

एप का खाता भी गोपनीय है। अतः पैसा सीधे ट्रस्ट के खाते में जमा होता है। जो व्यक्ति मंदिर निर्माण के लिए पैसा देना चाहते हैं, लेकिन स्वयं ही सीधे बैंक में जमा कपाना चाहते हैं, उनके लिए वितरित किए गए पेम्पलेट में बैंक के सेविंग व करंट अकाउंट दिए गए हैं। अतः कोई भी ट्रस्ट के खाते में सीधा भी जमा करवा सकता है। टोलियों के माध्यम से ही समर्पण करें यह आवश्यक नहीं है।

यह ट्रस्ट सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर संवैधानिक व्यवस्था से बना हुआ है। इसमें किसी भी राजनीतिक दल का सीधा संबंध नहीं है। ट्रस्ट के पास मानव संसाधन नहीं होने के कारण उसने विश्व हिंदू परिषद से आग्रह किया था कि इस संग्रह अभियान में परिषद अपना सहयोग दे। विश्व हिंदू परिषद ने ट्रस्ट के निवेदन को स्वीकार करते हुए अपना डेढ़ माह का समय दिया है और समाज के सभी बंधु भगिनियों के सहयोग से घर घर जाने का कार्यक्रम बनाया है।

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