पाकिस्तान में बलूचियों पर अत्याचार एक समस्या

शुभम वैष्णव

पाकिस्तान में बलूचियों पर अत्याचार एक समस्या

जब कभी समस्या उत्पन्न करने वाले को ही समस्या हो जाए तो बड़ी समस्या की बात हो जाती है। राह में पड़ा एक कांटा एक व्यक्ति के पैर को बार-बार छलनी कर रहा था अबकी बार उस आदमी ने जूता पहना और कांटे को कुचल दिया इससे समस्या देने वाले कांटे के लिए ही समस्या पैदा हो गई।

पाकिस्तान भी उसी कांटे की भांति है वह बार-बार भारत को जख्म देता है और अब जब भारत उसे उसकी हरकतों का जवाब देता है तो उसकी बौखलाहट बढ़ जाती है। एक तरफ सर्जिकल, एअर और आर्थिक स्ट्राइक तो दूसरी तरफ विश्व समुदाय में पाकिस्तान को बेनकाब करने की स्ट्राइक करके भारत ने पाकिस्तान को इतना मजबूर कर दिया कि आज आतंकवाद और कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में मुंह की खा रहा है। लेकिन वह आदतों से बाज नहीं आ रहा।

अब उसे राम मंदिर के निर्माण से भी समस्या होने लगी है जबकि भारत को पाकिस्तान में बनने वाली मस्जिदों से कोई समस्या नहीं है। खुद के यहॉं इतनी इस्लामिक कट्टरता है कि हिंदुओं द्वारा बनाया जा रहा एक मंदिर बर्दाश्त नहीं हो रहा, बामियान में बुद्ध की पुरानी मूर्ति मिली तो कट्टरपंथियों ने तोड़ दी और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की तो बात करना ही बेकार है। पाकिस्तान से खुद का घर संभलता नहीं, दूसरों को ज्ञान देने पर तुला है।

उसे कश्मीर से समस्या है क्योंकि वह कश्मीर को हथियाना चाहता है परंतु उसकी यह नापाक ख्वाहिश कभी पूरी नहीं हो पाएगी। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को एक बात अच्छी तरह समझ आ चुकी है कि पाकिस्तान और चीन एक ही थाली के चट्टे बट्टे हैं। पाकिस्तान अपने यहां हिंदुओं, सिखों, ईसाइयों, अहमदियों और बलूचों पर अत्याचार कर रहा है जबकि दूसरी ओर चीन अपने यहां उईगर मुसलमानों का दमन कर रहा है दोनों की नीति एक ही है इसीलिए तो दोनों का चोली दामन का साथ है। भारत से किसी भी देश को समस्या नहीं है परंतु चीन और पाकिस्तान से सारे विश्व को समस्या है।

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