समाज को अपना मान कर देना ही हमारा धर्म- डॉ. मनमोहन वैद्य

कोटा महानगर का व्यवसायी स्वयंसेवक एकत्रीकरण

कोटा, 03 फरवरी । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य ने कहा कि भारत देश की एक संस्कृति है, जो विविधता लिए हुए है। हमारी मानवता आधारित संस्कृति में एक व्यक्ति में एक ईश्वर निहित है तथा विभिन्न विविधताएं मानव को मुक्ति की ओर ले जाने के अलग-अलग मार्ग इंगित करती है, परंतु सभी के मूल में केवल एक ही विचार है और वह है हिंदुत्व।


कोटा महानगर के व्यवसायी स्वयंसेवकों के एकत्रीकरण में उन्होंने कहा कि प्रतिदिन एक घंटे की नियमित शाखा स्वयंसेवकों के सामूहिक गुणों का विकास करने का एक स्थान है, क्योंकि संघ में स्वयंसेवक सदस्य नहीं बल्कि घटक बनकर कार्य करता है। संघ की शाखा में निर्माण हुआ स्वयंसेवक बिना रुके, बिना झुके व बिना डरे दिन के शेष 23 घंटों में अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए समाजोत्थान का कार्य करता है।

डॉ. वैद्य ने कहा कि एक घंटे की शाखा स्वयंसेवकों को उर्जा प्रदान करने का कार्य करती है। जिससे स्वयंसेवक अपने मैं को छोडक़र हम की ओर अग्रसर होता है। हमारा मूल उद्देश्य संपूर्ण समाज को संगठित करना है और शाखा उसका एक उपक्रम है। उन्होंने स्वयंसेवकों से आह्वान करते हुए कहा कि हमें अपने आचरण और व्यवहार से सामाजिक भेदभाव को दूर करते हुए संपूर्ण समाज को एकरस करना है। जिन लोगों के मन में संघ के प्रति भ्रांतियां हैं उन्हें अपने आचरण और व्यवहार से दूर कर रहा है, क्योंकि समाज को अपना मान कर देना ही हमारा धर्म है। हमें ऐसे समाज का निर्माण करना है जो शासन पर कम से कम निर्भर हो और स्वावलंबी होकर अपना योगदान भी समाज उत्थान में दे सके।


वर्तमान में 45 देशों व भारत में 60 हजार दैनिक शाखाओं के माध्यम से संघ की यह साधना समय-समय पर विभिन्न बाधाओं को पार करते हुए निरंतर चल रही है। जिसके फलस्वरूप समाज में विभिन्न प्रकार के परिवर्तन दिखाई दे रहे हैं। कार्यक्रम में कोटा महानगर संघचालक ताराचंद गोयल, क्षेत्रीय कार्यकारिणी सदस्य राजेंद्र, प्रांत प्रचारक विजयानंद, सह प्रांत प्रचारक मुरलीधर सहित बड़ी संख्या में स्वयंसेवक उपस्थित थे।

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