देश की स्वतंत्रता में सिन्ध के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है – कैलाशचन्द

देश की आजादी में सिन्ध के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है - कैलाशचन्द

देश की आजादी में सिन्ध के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है - कैलाशचन्द

जयपुर, 28 फरवरी। भारतीय सिन्धु सभा की दो दिवसीय प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के दूसरे दिन समापन सत्र में प्रदेश मार्गदर्शक कैलाशचन्द शर्मा ने संगठन के पदाधिकारियों को समाजव्यापी कार्य करने की प्रेरणा देते हुए  उनसे पूरी सक्रियता के साथ समाज में संस्कारों के निर्माण का आह्वान किया। उन्होंने सम्पूर्ण मानव समाज के प्रति समर्पण भाव से कार्य करने की बात भी कही।

शर्मा ने कहा कि देश की स्वतंत्रता को 75 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं। इस स्वतंत्रता में सिन्ध के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। सिन्ध के बिना हिन्द हमेशा अधूरा है। जल्द ही सिन्ध मिलकर भारत अखण्ड बनेगा। उन्होंने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र कार्य योजना के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि अयोध्या दुनिया की सांस्कृतिक राजधानी बनेगी। भगवान श्रीराम अच्छाई के प्रतीक हैं। उनका जीवन हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह क्षेत्र प्रचार प्रमुख मनोज ने कहा कि आज मीडिया का क्षेत्र अत्यन्त व्यापक हो गया है। प्रिन्ट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के साथ-साथ सोशल और डिजिटल मीडिया ने प्रचार-प्रसार की गतिशीलता को तेजी से बढ़ाया है। आज सोशल मीडिया किसी भी विमर्श को समाज के मन-मस्तिष्क में स्थापित कर देता है। इसलिए हमें आधुनिक तकनीक का सकारात्मक उपयोग कर संगठन की रीति-नीति को समाज तक पहुंचाना होगा। उन्होंने वर्ल्ड सिन्धु मीडिया सेन्टर स्थापित करने की बात भी कही।

बैठक के दूसरे दिन प्रचार विभाग का महत्व, बाल संस्कार शिविर, नई शिक्षा नीति, करियर काउंसलिंग और नई पीढ़ी को सिंधी भाषा, संस्कृति, साहित्य और कला से जोड़ने के प्रयासों, जनगणना, वार्षिक कैलेण्डर, धन संग्रह सहित युवा और मातृशक्ति की भूमिका पर गहन चर्चा हुई। समापन सत्र में साध पुरसनाराम दरबार सांभर के सांई प्रदीप साध ने आशीवर्चन दिए। इस अवसर पर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष देवीचन्द लालवानी, दिल्ली प्रदेशाध्यक्ष राजन नागपाल, समाजसेवी नरेन्द्र लखी और समाजसेवी रेवाचन्द मोरवानी ने भी अपने विचार प्रकट किए। अध्यक्ष मोहनलाल वाधवानी ने सभा पदाधिकारियों के नये दायित्वों की घोषणा कर सभी को कार्यभार की शपथ दिलाई।

राष्ट्रीय मंत्री महेन्द्र कुमार तीर्थानी ने सिन्धु महाकुंभ के समय केन्द्र सरकार के समक्ष रखी 5 मांगों की प्रगति की समीक्षा करते हुए कुटुम्ब प्रबोधन के लाभ पर चर्चा की। उन्होंने पर्यावरण प्रेम, समर्पण मंगल निधि और वार्षिक कैलेण्डर पर भी अपने विचार रखे। प्रदेश कोषाध्यक्ष इन्द्र कुमार रामानी ने ऐच्छिक समर्पण निधि की स्थापना कर कूपनों के माध्यम से धन संग्रह की योजना प्रस्तुत की।

दूसरे सत्र में अजमेर के महानगर मंत्री महेश टेकचंदानी ने बाल संस्कार शिविर, प्रदेश भाषा व साहित्य मंत्री प्रदीप गेहानी ने नई शिक्षा नीति, अलवर के पूर्व प्राचार्य प्रतापसिंह कडेरा ने कैरियर काउंसलिंग और ईश्वर मोरवानी व गोविन्दराम माया ने सिंधी भाषा पर अपने विचार रखे। सत्र की शुरुआत इष्टदेव भगवान झूलेलाल, शहीद हेमू कालाणी और भारत माता के चित्रों पर माल्यार्पण के साथ हुई। बैठक का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ। अंत में जयपुर महानगर अध्यक्ष नवलकिशोर गुरनानी ने सभी आगन्तुकों का आभार व्यक्त किया। मंच संचालन संभाग प्रभारी हीरालाल तोलानी और गिरधारी ज्ञानानी ने किया।

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