सिन्धी भाषा व साहित्य संवर्द्धन के लिये सिन्धी विश्वविद्यालय की स्थापना आवश्यक
- राज्यस्तरीय सिन्धी शिक्षामित्र कार्यशाला सम्पन्न
28 दिसम्बर। शिक्षार्थी के लिए शिक्षक आदर्श होता है। स्वाध्याय करने से हमें ज्ञान मिलता है। हमने जो पढ़ा है उसे बांटना चाहिये, जिससे शिक्षा में और बढ़ोत्तरी होगी। हम पूर्ण विश्वास रखकर कार्य करेंगे तो मार्ग की बाधाएं भी निश्चित रूप से दूर होंगी। ऐसे विचार भारतीय सिन्धु सभा की ओर से राष्ट्रीय सिन्धी भाषा विकास परिषद नई दिल्ली के सहयोग से चल रहे सिन्धी लैंग्वेज लर्निंग कोर्स के सिन्धी शिक्षामित्रों की कार्यशाला में मार्गदर्शक कैलाशचन्द्र ने प्रकट किए।
सभा के राष्ट्रीय मंत्री व प्रदेश प्रभारी महेन्द्र कुमार तीर्थाणी ने कहा कि राजस्थान प्रदेश में सिन्धी भाषा, शिक्षा व संस्कार से जोड़ने की निरंतर हो रही गतिविधियों से विद्यार्थियों व युवाओं को जोड़ा जा रहा है। सिन्धी भाषा व साहित्य संवर्द्धन के लिये सिन्धी विश्वविद्यालय की स्थापना के प्रयास भी जारी हैं। महिला इकाई जिलाध्यक्ष शोभा बसंताणी ने कहा कि मातृशक्ति भी ऐसे शिक्षा केन्द्रों के साथ ही संस्कार केन्द्रों में अपना सहयोग कर रही हैं। महिलाओं को स्वरोजगार के कार्यों से भी जोड़ा जा रहा है।
प्रदेश के भाषा एवं साहित्य मंत्री डॉ. प्रदीप गेहाणी ने बताया कि राज्यभर में 135 केन्द्रों पर शिक्षार्थियों को डिप्लोमा कोर्स पढ़ाया जा रहा है और भारत सरकार से इसमें अधिक कोर्स जोडने के प्रयास भी किये जा रहे हैं।