स्थानीय सिनेमा का बढ़ता वर्चस्व
हाल ही में रिलीज अल्लू अर्जुन अभिनीत फ़िल्म पुष्पा द राइज ने पूरे देश में रिकॉर्ड तोड़ बिजनेस किया। यह एक मॉस फ़िल्म थी, जिसके भरपूर मात्रा में एक्शन, रोमांस, मधुर संगीत और लाजवाब गानों ने दर्शकों के मन को खूब लुभाया। पिछले कुछ वर्षों में दक्षिण भारत के सिनेमा को उत्तर भारत में खूब सराहा गया। तेलुगू सिनेमा के साथ ही मलयालम, तमिल तथा अन्य स्थानीय सिनेमा का भी वर्चस्व बढ़ा है। आर. माधवन व विजय सेथुपति अभिनीत फिल्म विक्रम वेधा रजनीकांत व अक्षय कुमार अभिनीत फ़िल्म रोबोट, प्रभास अभिनीत फिल्म बाहुबली जैसी कई फिल्मों को पूरे देश में भरपूर सराहना मिली। इसी के साथ यहाँ के कलाकारों को भी काफी अच्छी लोकप्रियता मिली है। बड़े बजट की फिल्में ही नहीं छोटे बजट की फिल्में भी उत्तरी भारत के दर्शकों को खूब लुभा रही हैं। यही कारण है कि बॉलीवुड के बड़े नामी अभिनेता भी भारत की फ़िल्मों की रीमेक बनाने के लिए लालायित रहते हैं। शाहिद कपूर अभिनीत फिल्म कबीर सिंह तमिल अभिनेता विजयदेवरकोंडा की सुपरहिट फिल्म थी इसके अलावा अजय देवगन की दृश्यम, अक्षय कुमार की राउडी राठौड़, ऋतिक रोशन की आने वाली फिल्म विक्रम वेधा ऐसे कई उदाहरण है। इस तरह क्षेत्रीय सिनेमा का दबदबा कई सकारात्मक संकेत देता है। बॉलीवुड ने एक तरफ जहां वामपंथी विचारधारा का आईना दिखाया है, वहीं क्षेत्रीय सिनेमा ने अपनी संस्कृति को बहुत खूबसूरत ढंग से प्रस्तुत किया है। इससे एक बात तो स्पष्ट हो गई है कि आने वाले समय में बॉलीवुड को कांटे की टक्कर मिलने वाली है। सुशांत सिंह की मौत को बॉलीवुड द्वारा दबाने के बाद लोगों का बॉलीवुड के प्रति नजरिया नकारात्मक हो गया है।
हाल ही में दर्शकों ने अक्षय कुमार की सूर्यवंशी फिल्म के अलावा किसी भी फिल्म को पसंद नहीं किया। कुछ भी हो लेकिन अब बॉलीवुड के अपने ब्रांड के ठेकेदारों की दुकान बन्द होने वाली है। यह सिनेमा जगत के लिए मील का पत्थर साबित होगी। आर राजमौली की फिल्मों की सिनेमेटोग्राफी, एक्शन, संगीत और उनकी फिल्म तकनीक की बराबरी करना बॉलीवुड के तथाकथित दिग्गज निर्देशकों के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है।