स्वदेशी जागरण मंच की प्रेरणा से आयोजित त्रिदिवसीय चर्चा अर्थ चिंतन 2021 सम्पन्न

स्वदेशी जागरण मंच की प्रेरणा से आयोजित त्रिदिवसीय चर्चा अर्थ चिंतन 2021 सम्पन्न

स्वदेशी जागरण मंच की प्रेरणा से आयोजित त्रिदिवसीय चर्चा अर्थ चिंतन 2021 सम्पन्न

स्वदेशी जागरण मंच की प्रेरणा से आयोजित तीन दिवसीय चर्चा “अर्थ चिंतन 2021” 25 सितम्बर को सम्पन्न हो गई।मंच के अखिल भारतीय सह संयोजक डॉक्टर धनपत राम अग्रवाल ने 25 सितम्बर के दिन का महत्व बताते हुए कहा कि “एकात्म मानव दर्शन” के प्रणेता पंडित दीन दयाल उपाध्याय का जन्म आज के दिन ही हुआ था। उनका मानना था पूँजीवाद और साम्यवाद की व्यवस्था सरकार या निजी क्षेत्र में केंद्रीयकरण आधारित होने के कारण “कहीं धन का अभाव या कहीं धन का प्रभाव” वाली स्थिति का निर्माण करती है। यह स्थिति चल नहीं सकती। अतः उसके विकल्प के रूप में उन्होंने समाज को आगे रखते हुए एक रास्ता बताया। उन्होंने कहा कि “समाज के लिए सरकार है” न कि सरकार के लिए समाज। इसी दर्शन को व्यावहारिक रूप में ठेंगड़ी जी ने अपनी पुस्तक तीसरा विकल्प में लिखा है।

उन्होंने विस्तार से आँकड़ों के साथ विश्वास व्यक्त किया कि भारत में अगले 15 वर्षों में 27 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनने की क्षमताएँ हैं।

मंच के अखिल भारतीय संगठक कश्मीरी लाल ने स्वदेशी जागरण मंच की तीस वर्षों की यात्रा के अनेक पड़ावों का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि चीनी वस्तुओं के बहिष्कार पर मंच के जन जागरण अभियान का ही परिणाम है कि चीन से व्यापार घाटा जो कि वर्ष 2016 में 64 अरब डॉलर होता था, आज वह घटकर 44 अरब डॉलर रह गया है। उन्होंने युवाओं को मंच का स्वदेशी साहित्य पढ़ने के लिए प्रेरित किया, जो कि मंच की विभिन्न साइट्स पर उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि आज़ादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर इस चर्चा को गाँवों तक ले जाकर हमें स्वतंत्रता सेनानियों के स्वप्न को साकार करना है। आर्थिक स्वतंत्रता के बिना यह स्वतंत्रता अधूरी है।

सिद्धगिरी पीठ, कनेरी मठ के पूज्य स्वामी कोडसिद्देश्वर जी ने देश भर में फैले छोटे छोटे समुदायों का सशक्तिकरण करके इस अभियान को आगे बढ़ाने पर बल दिया। उन्होंने शिक्षा, चिकित्सा, रोज़गार के अभाव में ख़ाली होते गाँवों पर चिंता व्यक्त की। शासन द्वारा सबको मुफ़्त वितरण की सुविधा देश को आलस्य में धकेल देती है। अतः जनता को रोज़गार देकर स्वावलंबी बनाना ही एकमात्र रास्ता है। अर्थव्यवस्था के केंद्रीयकरण नें गाँवों का सर्वनाश कर दिया है। गाँव को सशक्त बनाने के लिए उन्होंने कनेरी मठ के प्रयासों का उल्लेख करते हुए बताया कि मात्र 3 वर्षों में कोल्हापुर ज़िले में ही गायों की संख्या तीन लाख बढ़ गई है, 2000 महिलाओं को सिलाई से रोज़गार मिला है, किसानों से पूरा वर्ष 40₹ किलो में सब्ज़ी ख़रीदी जाती है तथा स्कूलों में 235 शिक्षक अपनी ओर से नियुक्त किए हुए हैं। अनेक गाँवों को गोबर गैस के बल पर LPG मुक्त गाँव बनाया है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह सीआर मुकुंद ने कहा कि अधिकांश बातें हमारे ग्रंथों में बताई हुई हैं। हमें समाज की संकल्प शक्ति बनानी होगी। संकल्प और कृतित्व से ही भविष्य बनता है। हमें समृद्धि का दृष्टिकोण बदलना होगा और इसके लिए समाज में “समृद्धि की पूजा” का भाव जागृत करना होगा। दारिद्र्य किसी भी समाज को लम्बे समय तक जीवित नहीं सकता। समय की बर्बादी और असमर्थता से दरिद्रता आती है। जनसंख्या समस्या नहीं है। यदि जितने पेट हैं तो उससे दुगने हाथ भी हैं।

हमें समृद्धि को मंत्र बनाना है किंतु यह समृद्धि धर्म से नियंत्रित हो यह भी सुनिश्चित करना होगा।

समृद्धि निर्माण कृषि, व्यापार, उद्योग, सेवा क्षेत्र, हुनर आदि विभिन्न क्षेत्रों के द्वारा होता है। यह कार्य हम अपनी वर्क फ़ोर्स की शक्ति से करें। इसके लिए छोटे समुदायों को साथ लें। समृद्धि हस्तांतरण को समृद्धि निर्माण मानने की भूल हमें नहीं करनी है। दुनिया में शेयर बाज़ार उतार चढ़ाव, टैक्स बचाव, दलाली, सट्टेबाज़ी आदि जैसे समृद्धि हस्तांतरण को समृद्धि निर्माण मान लिया जा रहा है।

टेक्नोलोज़ी को रोकना सम्भव नहीं है। विश्व के सर्वश्रेष्ठ दिमाग़ वाली सर्वाधिक युवा शक्ति भारत में है, अतः इससे लाभ उठाने का कौशल विकसित करना होगा।

कार्यक्रम के मुख्य आयोजक प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा ने तीन दिन चली चर्चा का सारांश प्रस्तुत किया।

मंच के राष्ट्रीय संयोजक आर सुंदरम ने तीन दिन चली इस चर्चा में सबके योगदान की सराहना करते हुए कहा कि इस चर्चा से हमें देश की भावी दिशा निर्धारित करने में लाभ मिलेगा। स्वदेशी जागरण मंच के कार्यकर्ता इस चर्चा को गाँव गाँव तक ले जाएँगे। अफ्रीकी देश, ताइवान जैसे देश अपनी संकल्प शक्ति के बल पर आगे बढ़े हैं। भारत के पास युवा शक्ति, अनेक शोध संस्थान, स्टार्टअप, विश्वविद्यालय, कृषि भूमि, लघु उद्योग आदि का विशाल तंत्र है। भारत भी अपनी संकल्प शक्ति के बल पर आगे बढ़ेगा। ग़रीबी मुक्त भारत, रोज़गार युक्त भारत, पर्यावरण की रक्षा करते हुए 2030 तक भारत 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के अपने लक्ष्य को अवश्य प्राप्त करेगा। देश में इस संकल्प शक्ति और एकजुटता के निर्माण करने के लिए स्वदेशी जागरण मंच के कार्यकर्ता गाँव गाँव तक एक “महान जन अभियान” चलाएँगे।

इसी के साथ अर्थ चिंतन 2021 सम्पन्न हो गया। स्वदेशी जागरण मंच राजस्थान क्षेत्र विचार विभाग प्रमुख जयसिंह शक्तावत से प्राप्त जानकारी के अनुसार राजस्थान प्रदेश के सभी 33 जिलों में लगभग 55 हजार लोगों ने ऑनलाइन जुड़कर स्वदेशी जागरण मंच के आर्थिक चिन्तन 2021 में अपनी सहभागिता की है तथा मंच के राजस्थान क्षेत्र संयोजक धर्मेंद्र दुबे ने मंच के उक्त आभासी कार्यक्रम को राजस्थान प्रदेश के सभी 33 जिलों में संपन्न करवाने में अपनी महती भूमिका अदा की। जिनके अथक प्रयासों से ही संपूर्ण राजस्थान में बुद्धिजीवी वर्ग ने अपना आशीर्वाद प्रदान किया है।

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