हनुमान गढ़ : शिला माता मंदिर को मजार में बदलने का षड्यंत्र
कहने को तो मुगल राज चला गया, अंग्रेज भी चले गए, लेकिन भारत में बहुसंख्यकों के आस्था केंद्रों का मान मर्दन व उनके विरुद्ध षड्यंत्रों का क्रम समाप्त नहीं हुआ। वे कहीं ईसाई तो कहीं इस्लामिक षड्यंत्रों के आज भी शिकार हैं। ऐसा ही एक मंदिर है हनुमान गढ़ का शिला माता मंदिर। इतिहासकार बताते हैं कि मंदिर में स्थापित शिला महाराजा गंगासिंह के समय सरस्वती नदी की सहायक नदी घग्गर में बहकर यहां आई थी। उसके चमत्कारों के प्रति श्रद्धावनत होकर महाराजा ने उसे यहॉं स्थापित करवा दिया। तबसे ही श्रद्धालु इस पर नमक व दूध चढ़ाकर शिला की पूजा करते आ रहे हैं। श्रद्धालुओं का मानना है कि शिला पर चढ़े नमक व दूध को त्वचा पर लगाने से चर्म रोग दूर हो जाते हैं। मंदिर की इस ख्याति के कारण चर्म रोग से पीड़ित मजहबी लोग भी यहॉं आने लगे और पिछले कुछ वर्षों में यह मंदिर इस्लामिक षड्यंत्र का शिकार बन गया। मंदिर का पुजारी एक मुसलमान को बना दिया गया। स्थानीय लोग बताते हैं कि मजहबी साजिश के अंतर्गत यहॉं पहले दिया जलाना बंद हुआ, फिर आरती और फिर लोगों को नमक व दूध चढ़ाने से भी रोका जाने लगा और एक दिन शिला पर हरी चादर डाल दी गई। इस तरह शिला माता को मजार का रूप दे दिया गया और शिला माता को शिला पीर या शीला पीर प्रचारित किया जाने लगा।
पिछले कुछ समय से हिंदुओं को शुक्रवार के दिन पूजा पाठ करने से भी रोका जाने लगा। इस हेतु मंदिर में बैनर व पोस्टर तक लगा दिए गए। जिसका हिंदू समाज ने खुलकर विरोध किया। विहिप व बजरंग दल कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन कर कलक्टर को ज्ञापन सौंपा और मंदिर में हिंदू पुजारी रखने की मांग करते हुए पूर्ववत पूजा अर्चना चलते रहने की अपील की।
हनुमान गढ़ टाउन के राजेश बताते हैं मंदिर को मजार में बदलने के प्रयासों के बारे में पहले भी कई बार प्रशासन को अवगत कराया जा चुका है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती। इस बार ज्ञापन देने के बाद पूजा अर्चना में किसी भी प्रकार का व्यवधान न पहुंचाए जाने के प्रशासन ने आदेश दिए हैं।
पीलीबंगा के नरेश बताते हैं कि दस वर्ष पहले वे अपनी मॉं को लेकर मंदिर आए थे, तब यहॉं दूध व नमक के साथ चूड़ियॉं भी चढ़ाई जाती थीं, लेकिन इस बार वे आए तो दृश्य ही अलग था। मंदिर के मुस्लिम पुजारी ने शिला खराब हो जाएगी कहते हुए उन्हें नमक मंदिर के कोने में तो दूध बाल्टी में डालने के निर्देश दिए।
हिंदू मंदिरों के साथ इस तरह के षड्यंत्र नए नहीं। इसी साल 14 जनवरी की रात को तमिलनाडु के तिरुपत्तूर जिले के नटरमपल्ली तालुक में एलापल्ली गाँव में अम्मान मंदिर की सभी दीवारों पर क्रिश्चियन क्रॉस सिंबल को पेंट कर चर्च का रूप देने के प्रयास किए गए थे।