संघ के द्वितीय सरसंघचालक प.पू.श्रीगुरुजी के संकलित विचार : हमारी मातृभूमि

संघ के द्वितीय सरसंघचालक प.पू.श्रीगुरुजी के संकलित विचार : हमारी मातृभूमि

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संघ के द्वितीय सरसंघचालक प.पू.श्रीगुरुजी के संकलित विचार : हमारी मातृभूमि

यह है हमारी पवित्र भूमि भारत माता, जिसकी महत्ता के गीत देवताओं ने इन शब्दों में गाए हैं:

गायन्ति देवाः किल गीतकानि धन्यास्तु ते भारतभूमिभागे।
स्वर्गापवर्गास्पदहेतुभूते भवन्ति भूयः पुरुषाः सुरत्वात्॥
(विष्णु पुराण २-३-२४, ब्रह्म पुराण १९-२५)
(देवगण इस प्रकार गीत गाते हैं कि हम देवताओं से भी वे लोग धन्य हैं, जो स्वर्ग और अपवर्ग के लिए साधनभूत भारतभूमि में उत्पन्न हुए हैं।)

-यह भूमि, जिसे महायोगी अरविंद ने विश्व की दिव्य जननी के रूप में जीवंत आविष्कीकरण कर प्रत्यक्ष किया जगन्माता! आदिशक्ति! महामाया! महादुर्गा! और जिसने मूर्तरूप साकार होकर उसके दर्शन-पूजन का हमें अवसर प्रदान किया है।

-यह भूमि, जिसकी स्तुति हमारे दार्शनिक कवि रवींद्रनाथ ठाकुर ने ‘देवी भुवनमनमोहिनी’, ‘नीलसिन्धु जल धौत चरण तल’ कहकर की है।

-यह भूमि, जिसका वंदन स्वतंत्रता के उद्घोषक कवि बंकिमचंद्र ने अपने अमर गीत ‘वन्दे मातरम्’ में किया है। जिसने सहस्रों युवा हृदयों को स्फूर्त कर स्वतंत्रता की प्राप्ति हेतु आनंदपूर्वक फाँसी के तख्ते पर चढ़ने की प्रेरणा दी- त्वं हि दुर्गा दश प्रहरण धारिणी’

-यह भूमि, जिसकी पूजा हमारे सभी संत-महात्माओं ने मातृभूमि, धर्मभूमि, कर्मभूमि एवं पुण्यभूमि के रूप में की। यह वास्तव में वेद-भूमि और मोक्षभूमि है।

-यह भूमि जो अनंत काल से हमारी प्यारी पावन भारत माता है, जिसका नाम मात्र हमारे हृदयों को शुद्ध सात्विक भक्ति की लहरों से आपूर्ण कर देता है।

अहो! यही तो हमारी सबकी माँ है, हमारी तेजस्विनी मातृभूमि!

वास्तव में ‘भारत’ नाम ही निर्देश करता है कि यह हमारी माँ है। हमारी सांस्कृतिक परंपराओं के अनुसार किसी महिला को पुकारने की सम्मानपूर्ण रीति यह है कि उसे उसके पुत्र के नाम से पुकारा जाए। किसी महिला को अमुक की पत्नी अथवा अमुक की ‘मिसेज’ कहकर पुकारना पाश्चात्य रीति है। हम कहा करते हैं, ‘वह रामू की माँ है।’ यही बात हमारी मातृ-भूमि भारत के नाम के विषय में भी लागू होती है। ‘भरत’ हमारे ज्येष्ठ भ्राता हैं, जिनका जन्म बहुत काल पूर्व हुआ था। वह उदार, श्रेष्ठगुण संपन्न और विजयिष्णु राजा थे एवं हिन्दू पुरुषार्थ के भासमान आदर्श थे। जब किसी स्त्री के एक से अधिक पुत्र होते हैं, तब हम उसे उसकी ज्येष्ठ संतान के नाम से अथवा सबसे अधिक ख्यातिप्राप्त संतान के नाम से पुकारते हैं। भरत ख्यातिप्राप्त थे, इसलिए यह भूमि उनकी माता कही गई। भारत, अर्थात् सभी हिन्दुओं की माता।

मेरी मातृभूमि मंदिर है। संतों, ऋषियों, मुनियों वाली।
भारतभूमि मिहिर है। मेरी मातृभूमि मंदिर है।।

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