हाइफा युद्ध : तलवार और भालों से लड़ रहे भारतीय सैनिकों ने मशीनगनों और तोपों से लैस ओटोमन सैनिकों को चटायी थी धूल

हाइफा युद्ध : तलवार और भालों से लड़ रहे भारतीय सैनिकों ने मशीनगनों और तोपों से लैस ओटोमन सैनिकों को चटायी थी धूल

हाइफा युद्ध : तलवार और भालों से लड़ रहे भारतीय सैनिकों ने मशीनगनों और तोपों से लैस ओटोमन सैनिकों को चटायी थी धूलहाइफा युद्ध : तलवार और भालों से लड़ रहे भारतीय सैनिकों ने मशीनगनों और तोपों से लैस ओटोमन सैनिकों को चटायी थी धूल

जयपुर, 22 सितम्बर। शनिवार को राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच (जयपुर चैप्टर) एवं एसएस जैन सुबोध कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में हाइफा बंदरगाह (इजराइल) विजय दिवस समारोह सुबोध कॉलेज के सभागार में मनाया गया। मां सरस्वती और भारतमाता के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ।

डॉ. एसएस अग्रवाल अध्यक्ष फैंस जयपुर ने स्वागत भाषण दिया तथा कार्यक्रम की प्रस्तावना रखते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच (फैंस) के गठन के उद्देश्य बताये। उन्होंने कहा कि आज सभी स्तरों पर सुरक्षा हेतु जागरूक रहकर कार्य करने की आवश्यकता है। केवल वाह्य सुरक्षा ही नहीं, आतंरिक सुरक्षा जैसे – आतंकवाद, फेक करेंसी, साइबर फ्रॉड, सीरियल बम ब्लास्ट, देश विरोधी आन्दोलन, नशा, घातक बीमारियों आदि के प्रति भी प्रत्येक नागरिक को सतर्कता रखनी होगी। हमारे अंदर हमेशा देश प्रथम का भाव रहना चाहिए। उन्होंने बताया कि पिछले दिनों फैंस ने राष्ट्रहित सर्वोपरि, सीमा सुरक्षा : चुनौतियाँ एवं समाधान, राष्ट्रीय सुरक्षा हमारा दायित्व, आत्मनिर्भर भारत-समर्थ भारत आदि विषयों पर गोष्ठियां व सेमिनार आयोजित किए हैं।

मुख्य वक्ता मेजर जनरल रिटायर्ड अनुज कुमार माथुर ने हाइफा बंदरगाह पर भारतीय सैन्य बल द्वारा की गई विजय के बारे में विस्तार से बताया। ब्रिटिश भारतीय सेना और ओटोमन सेनाओं के बीच लड़े गए इस युद्ध में 15वीं केवलरी ब्रिगेड में तीन घुड़सवार रेजिमेंट- जोधपुर, मैसूर और हैदराबाद शामिल थीं। इस ब्रिगेड को 23 सितंबर 1918 को ओटोमन को हराकर हाइफा पर कब्जा करने भेजा गया था। माउंट कार्मेल की ढलान से आश्चर्यजनक हमला करते हुए यह ब्रिगेड हाइफा बंदरगाह पर कब्जा करने में सफल रही। भारतीय ब्रिगेड ने यह लड़ाई उस समय के अत्याधुनिक हथियार मशीनगन, बारूदी गोले आदि के सामने घोड़ों पर बैठकर तलवार और भालों से लड़ी थी और विजय प्राप्त की थी। इस युद्ध का विवरण इजराइल के स्कूल कालेजों  के पाठ्यक्रम में शामिल है। इन उल्लेखनीय तथ्यों के कारण इस युद्ध को मानव इतिहास के सबसे बड़े युद्धों में से एक के रूप में याद किया जाता है। यह भारतीय इतिहास का एक स्वर्णिम पन्ना है।

फैंस के राष्ट्रीय महासचिव सरदार जसबीर ने बताया कि दिल्ली में त्रिमूर्ति सर्किल का नाम 2018 में इस युद्ध के सौ वर्ष का समारोह मनाए जाने के समय हाइफा चौक रखा गया। प्रतिवर्ष 23 सितंबर को इसी जगह हाइफा विजय दिवस आयोजित किया जाता है।

केबी शर्मा प्राचार्य एसएस जैन सुबोध महाविद्यालय ने अध्यक्षीय उद्बोधन में इस युद्ध के अनेक नायकों का भी स्मरण किया तथा यह संकल्प भी बताया कि उनके महाविद्यालय के पाठ्यक्रम के साथ इस युद्ध की शौर्य गाथा भी अध्ययन में सम्मिलित की जाएगी।

फैंस के जयपुर चैप्टर के महासचिव पुष्कर उपाध्याय ने समाज, घर परिवार व सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षा हेतु जागरूक रहकर समरसता का व्यवहार रखने के आग्रह के साथ सभी का आभार व्यक्त किया।

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