अली लिखी पैकिंग बर्दाश्त नहीं, लेकिन हिंदू देवी देवताओं पर उत्पादों के नाम गंगा जमुनी तहजीब
दोहरा चरित्र – आखिर कब तक?
अक्सर देखने में आता है कि किसी कम्पनी का मालिक तो मुसलमान है, लेकिन उसके उत्पाद का नाम हिंदू देवी देवताओं के नाम पर है। कुछ लोग इसे भी गंगा जमुनी तहजीब का नाम देते हैं। पर क्या वास्तव में ऐसा है? इसे समझने के लिए हाल ही में घटित एक ही उदाहरण काफी है।
कानपुर में अली कैफे नाम का एक रेस्टोरेंट है। इसने खाना पैक करके ले जाने के लिए जो कैरी बैग और कंटेनर बनवाया उस पर भी अली कैफे लिखवाया। इस पर मुसलमानों ने रोष प्रकट किया और मौलाना के निर्देशन में मुसलमानों की भीड़ ने रेस्टोरेंट में जाकर हंगामा किया।
इस घटना का एक वीडियो भी काफी वायरल हुआ। जिसमें मौलाना कह रहा है कि ” हम अपने बुजुर्गों की शान में की गई गुस्ताखी को कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे। 10 लाख – 15 लाख जितने का भी आपका पैकिंग मैटीरियल है, हम ले जाएंगे और इसकी अभी भरपाई कर देंगे, लेकिन इस्लाम को लेकर इस तरह की हरकतें बर्दाश्त नहीं करेंगे। आप लोग भी इंसान हो, आप ही बताओ, लोग इसे खाकर फेकेंगे तो यह पैर के नीचे आएगा या नहीं? हम जात की बात बर्दाश्त कर लेंगे, लेकिन हमारे बुजुर्गों की शान में कोई गुस्ताखी करेगा, हम कतई कम्प्रोमाइज नहीं करेंगे।”
जिन मुसलमानों को लगता है कि अली लिखा कैरी बैग लोग घर ले जाएंगे, काम में लेने के बाद इधर उधर फेकेंगे, वह पैरों के नीचे आएगा जिससे बुजुर्गों की शान में गुस्ताखी होगी, उन्हीं मुसलमानों के उत्पादों के नाम देखिए – कृष्णा ब्रांड बीड़ी, जिसके निर्माता हैं हाजी कल्लन। राधा ब्रांड बीड़ी, जिसके निर्माता हैं अब्बास। हाजी कल्लन कहते हैं कि हम बहुत समय से कृष्णा बीड़ी निकाल रहे हैं। हमारी बीड़ी खूब पसंद की जाती है। कृष्णा ब्रांड नाम रखने पर हमें कोई परेशानी नहीं आई। हमारा ब्रांड एक पहचान बन चुका है।अब्बास का कहना है हमारा ब्रांड 40 साल से अधिक समय से निकल रहा है। अलीगढ़, बुलंदशहर, मथुरा इलाके में इसकी अपनी पहचान है। इस ब्रांड को बहुत पसंद किया जा रहा है।
लक्ष्मी बीड़ी के मोहम्मद इरफान ने कहा कि हमारा ब्रांड 1987 से चल रहा है। मार्केट में ब्रांड की जबरदस्त मांग है और समाज में कोई परेशानी नहीं है। सभी हाथोंहाथ ले रहे हैं। वह आगे कहते हैं देश में अमरोहा बीड़ी उत्पादन का बड़ा केंद्र है। यह शहर कौमी एकता की मिसाल है। यहॉं डेढ़ सौ से अधिक ब्रांडों में मुस्लिम बीड़ी निर्माताओं के कई ब्रांड हिंदू देवी-देवताओं जैसे राधा, कृष्णा, कन्हैया, लक्ष्मी, शंकर आदि भी हैं।
कानपुर वाली घटना पर सोशल मीडिया पर तरह तरह की प्रतिक्रियाएं आईं। कालीचरण महाराज ने ट्वीट किया कि हिंदू देवी देवताओं के नाम पर लक्ष्मी बम, अगरबती, बीड़ी, सिगरेट, तंबाकू से लेकर न जाने क्या-क्या बिकते रहे हैं पर हिन्दू कभी भी अपने देवी देवता के अपमान पर इन मुस्लिमों की तरह एकता नही दिखाते।
उत्तर में राहुल झा लिखते हैं – यही तो सोचने वाली बात है महाराज, कि ग्लास, थैली पर अली का नाम लिखने पर ये लोग मारने मरने पर उतारू हो जाते हैं और एक हिन्दू है जिसके आराध्य का कभी अमेज़न वाले, कभी वेब सीरीज बनाने वाले मजाक बनाते हैं फिर भी आँखें नहीं खुलती हैं, कहीं न कहीं दोष तो हिन्दू का ही है।
वहीं, शम्भू दयाल इसे मुल्ला मौलवियों का दोहरा मापदंड बताते हैं। उनका कहना है ऐसे नाम भक्ति भावना के अंतर्गत तो रखे नहीं जाते। यदि यह भावना होती तो अली लिखी पैकिंग की तरह इनका भी विरोध होता। यह तो सरासर हिन्दू समाज की सहिष्णुता पर चोट है।
अनुपम डागर इसे सस्ती लोकप्रियता पाने का साधन बताते हैं। फिल्में हों या पेंटिंग, विज्ञापन हों या ब्रांड इनमें हिन्दू देवी देवताओं व मान्यताओं का अक्सर मजाक बनाया जाता है। वह कहते हैं जब तक हिन्दू समाज मुखर नहीं होगा, हल नहीं निकलने वाला।
सच तो यह है कि देश में कथित साम्प्रदायिक सदभाव के नाम पर जब तक इस दोहरे चरित्र का समर्थन रहेगा। तब तक यूं ही हिन्दुओं की भावनाओं से खिलवाड़ होता रहेगा।