कन्वर्जन रोकने के लिए सारा हिन्दू समाज एक हो
चित्रकूट। “मैं हिन्दू संस्कृति का धर्म योद्धा मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम जी की संकल्प स्थली पर सर्वशक्तिमान परमेश्वर को साक्षी मानकर संकल्प लेता हूं/लेती हूं कि मैं अपने पवित्र हिन्दू धर्म, हिन्दू संस्कृति एवं हिन्दू समाज के संरक्षण, संवर्धन एवं सुरक्षा के लिए आजीवन कार्य करूंगा।
मैं प्रतिज्ञा करता हूं कि किसी भी हिन्दू भाई को हिन्दू धर्म से विमुख नहीं होने दूंगा तथा जो भाई धर्म छोड़कर चले गए हैं, उनकी भी घर वापसी के लिए कार्य करूंगा एवं उन्हें परिवार का हिस्सा बनाऊंगा।
मैं प्रतिज्ञा करता हूं हिन्दू बहनों की अस्मिता सम्मान और शील की रक्षा के लिए मैं सर्वस्व अर्पण करूंगा। मैं जाति, वर्ग, भाषा, पंत के भेदभाव से ऊपर उठकर अपने हिन्दू समाज को समरस, सशक्त बनाने के लिए पूरी शक्ति से कार्य करूंगा।”
चित्रकूट में आयोजित हिन्दू एकता महाकुंभ (15 दिसंबर, 2021) में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने संतों की उपस्थिति में नर-नारियों को यह संकल्प दिलाया। उपस्थित संतों ने भी जन समुदाय के साथ यह संकल्प दोहराया।
कार्यक्रम को संत रामभद्राचार्य जी महाराज, श्री श्री रविशंकर जी, स्वामी चिदानंद सरस्वती जी, जगद्गुरु वासुदेवानंद सरस्वती जी, मलूक पीठाधीश्वर राजेंद्रदास देवाचार्य जी, श्री चिन्ना जियर महाराज जी, दीदी मां साध्वी ऋतंभरा जी सहित अन्य ने भी संबोधित किया।
सरसंघचालक ने कहा कि सबको जोड़कर चलना देव स्वभाव है। देव वो हैं जो सबके कल्याण के लिए कार्य करते हैं। उसके लिए सर्वस्व अर्पण करते हैं। भगवान राम ने धरती को राक्षस विहीन करने की प्रतिज्ञा लोगों के लिए की थी, स्वयं के लिए नहीं। मजबूरी या भय अथवा स्वार्थ के आधार पर स्थायी एकता नहीं हो सकती। अगर हमें समाज को एकत्रित करना है तो अहंकार एवं स्वार्थ छोड़ कर एक दूसरे के लिए काम करना पड़ेगा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी ने कहा कि हिन्दू वैदिक शब्द है, जिसका अर्थ है चंद्रमा के समान शीतल अमृत। कन्वर्जन रोकने के लिए सारा हिन्दू समाज एक हो। हिन्दू अन्याय का संगठित होकर प्रतिकार करे।
श्री श्री रविशंकर ने कहा कि कुछ लोग इकट्ठे होते हैं तो भय उत्पन्न होता है, जबकि संत और हिन्दू इकट्ठे होते हैं तो अभय उत्पन्न होता है। उन्होंने हिन्दू एकता महाकुम्भ में उठाए गए विषयों का समर्थन किया, जिनमें राष्ट्रीय अस्मिता के प्रतीक राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण पर अभिनंदन, हिन्दू देवस्थलों पर सरकारी नियंत्रण समाप्त करने, कन्वर्जन के अंतर्राष्ट्रीय षडयंत्र का विरोध, जनसंख्या नियंत्रण, सामान नागरिक संहिता, लव जिहाद से युवा पीढ़ी का बचाव, भारतीय दर्शन आधारित शिक्षा, व्यसन त्याग, गौ रक्षा के ठोस प्रयास, नारी सशक्तिकरण, हिन्दू विरोधी दुष्प्रचार पर रोक एवं पर्यावरण संरक्षण शामिल हैं। श्री श्री ने कहा कि माध्यमिक शिक्षा में संस्कृत को अनिवार्य किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि संस्कृत पाठशालाओं में संस्कृत शिक्षकों की नियुक्ति होनी चाहिए।
पंजाब से आए महंत ज्ञानवीर सिंह ने उपरोक्त उद्देश्यों के लिए एकता का आह्वान किया। कार्यक्रम का आरम्भ 11 सौ शंखों के नाद से हुआ।