‘हेनरी’ लड़की छेड़ता था, इसलिए वामपंथियों ने उसे ‘हरि’ बना दिया
एनसीईआरटी पुस्तक विवाद
एनसीईआरटी की पांचवीं क्लास की अंग्रेजी पुस्तक के एक अध्याय ‘द लिटिल बुली’ का मामला
भारतीय सनातन संस्कृति से वामपंथी इतिहासकारों और शिक्षाविदों की घृणा का चरम यह है कि वे हर उस चरित्र का भारतीयकरण कर देते हैं, जिससे किसी न किसी तरह सनातन प्रतीक चिह्नों को बदनाम किया जा सके। दुर्भाग्य यह है कि स्कूलों में भारतीय शिक्षा पद्धति को लागू करने का दावा करने वाले भी वामपंथियों की इन मंशाओं को अभी तक भांप नहीं पाए हैं। पिछले कई वर्षों से बच्चों के दिमाग में यह जहर भरा जा रहा है।
पिछले चौदह – पंद्रह सालों से एनसीईआरटी की पांचवीं क्लास की अंग्रेजी की पुस्तक मैरीगोल्ड के यूनिट आठ के सिर्फ एक अध्याय ‘द लिटिल बुली’ से तत्कालीन प्रोपेगेंडा वाले शिक्षाविदों और टैक्स्ट बुक डेवलपमेंट कमेटी की मंशाओं को समझा जा सकता है। एडवाइजरी कमेटी फॉर टैक्स्ट बुक एट द प्राइमरी लेवल की अध्यक्षा और दिल्ली विश्वविद्यालय में सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन में प्रोफेसर रहीं तथा नई शिक्षा नीति की आलोचक अनीता रामपाल के नेतृत्व में वर्ष 2007 में तैयार की गई इस पुस्तक में ‘द लिटिल बुली’ चैप्टर के माध्यम से छोटे बच्चों में सनातन संस्कृति में भगवान कृष्ण और राम के प्रचलित नाम ‘हरि’ के नाम पर एक ऐसे बच्चे की कहानी परोसी गई है जो लड़कियों को छेड़ता है, उन्हें चिढ़ाता है, उन्हें चिकोटी काटता है। उन पर धौंस जमाता है। सब बच्चे उससे डरते हैं और उससे नफरत करते हैं। उससे दूर रहते हैं और आखिर में एक केकड़ा उसे काटकर सबक सिखाता है। ‘हरि’ नाम के उस बच्चे की नकारात्मक छवि बनाकर पांचवीं क्लास में पढ़ने वाले छोटे बच्चों के मन में सनातन संस्कृति के प्रति घृणा के बीज डाले जाते हैं। और पिछले पंद्रह सालों से यह कार्य अनवरत किया जा रहा है।
क्या यह वाकई प्रोपेगैंडा है?
इस बात को समझने के लिए ‘द लिटिल बुली’ की मूल लेखक और उसकी मूल कहानी को तलाशना होगा। यह कहानी मूल रूप से बच्चों की कहानी लिखने वाली ब्रिटेन की एनिड ब्लिटन के 1946 में प्रकाशित कहानियों के लोकप्रिय संग्रह ‘चिमनी कॉर्नर स्टोरीज’ से लिया गया है। इस कहानी में मूल चरित्र का नाम है ‘हेनरी’। यहां तक कोई बात नहीं थी, लेकिन जैसे ही इस कहानी के मूल चरित्र को बदलकर जान बूझकर उसे ‘हरि’ किया गया, तो बात आसानी से समझ में आती है कि वामपंथियों की मंशा क्या रही होगी। अब ‘हेनरी’ को ‘हरि’ करना तो वामपंथियों के लिए बहुत आसान था। अगर वे इसे अब्दुल करते तो किसी को परेशानी हो सकती थी। लेकिन ‘हरि’ में तो किसे दिक्कत होगी? किसी को भी क्या पड़ी थी कि इस कहानी के मूल चरित्र को ढूंढा जाए। तत्कालीन राजनीति ने तो वैसे भी शिक्षा क्षेत्र को दशकों से वामपंथियों के मानसिक दिवालियेपन की भेंट कर रखा था। जो उन्होंने लिख दिया, उसे वैसा का वैसा पढ़ाया जा रहा है। उन्हें पढ़ाया जा रहा है कि ‘हरि’ लड़कियों को छेड़ता है, उन्हें चिकोटी काटता है और इसमें उसे मजा आता है। वामपंथियों को अपनी पूर्वाग्रह से दूषित मानसकिता का प्रदर्शन करना था। वे हर उस अवसर की खोज में रहते हैं कि कैसे भी भारतीय प्रतीक चिह्नों के बारे में भारतीय बच्चों में ही खराब छवि प्रस्तुत की जाए। इस प्रोपेगैंडा को ऐसे समझा जा सकता है कि इसी पुस्तक में दूसरी अन्य कहानियों में चरित्रों के नाम मूल चरित्र के नाम पर रखे गए हैं। उनमें किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया गया है।
लेकिन अब्दुल बहुत अच्छा लड़का है
एनसीईआरटी की चौथी क्लास की ईवीएस की पुस्तकों में कई अध्यायों में अब्दुल नाम का एक चरित्र बार बार आता है और हर बार वह या तो किसी की सहायता करता है या वह कोई अच्छा काम करता है। चौथी क्लास के ईवीएस के चैप्टर 27- ‘चुस्की गोज टू स्कूल’ में अब्दुल एक भला बच्चा है और अपाहिज लड़की चुस्की की स्कूल जाने में सहायता करता है। इसी पुस्तक के चैप्टर-19 ‘अब्दुल इन द गार्डन’ में अब्दुल बहुत मेहनती बच्चा है और गार्डन में अपने अब्बू की सहायता करता है। लेकिन हरि को चिकोटी काटने में मजा आता है।