संकटकाल में भी नव सृजन, सतत सीखना हमारी संस्कृति – होसबाले

संकटकाल में भी नव सृजन, सतत सीखना हमारी संस्कृति - होसबाले

संकटकाल में भी नव सृजन, सतत सीखना हमारी संस्कृति - होसबाले

भोपाल। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि कोरोना महामारी जैसे संकटकाल में भी समाज ने अनेक नई-नई बातों का सृजन किया है। हमारे यहां कहा गया है कि आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है। आवश्यकता के अनुरूप ही मनुष्य नई-नई चीजों का निर्माण करता है।

भोपाल में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए सरकार्यवाह ने कहा कि हमारी संस्कृति ने हमें बताया है कि संकट आने पर डरना नहीं। कोरोना की इस महामारी में भी हमारे समाज ने उसी अनुरूप कार्य किया। हम डरे नहीं, हम सभी ने इस विपत्ति का डटकर मुकाबला किया। कोरोना महामारी के कालखंड में हमने समाज को साथ लेकर समाज की सेवा के कार्य को साधना मान कर सतत किया है।

स्वयंसेवक के आचरण से बनती है समाज में पहचान

कार्यकर्ताओं का मार्गदर्शन करते हुए सरकार्यवाह ने कहा कि समाज में स्वयंसेवक के आचरण से उसकी पहचान बनती है। स्वयंसेवक अपने कार्य के प्रति जिद्दी है और समाज के कष्ट को देखकर वह तुरंत ही सक्रिय होता है। संघ स्वयंसेवक प्रामाणिक हैं, ऐसा समाज मानता है।

स्वामी विवेकानंद ने कहा है – BE AND MAKE, बनो और बनाओ। एक अच्छा स्वयंसेवक स्वदेशी के बारे में सदैव आग्रही रहता है।

कौशल विकास हेतु हमें सतत सीखने के करने होंगे प्रयास

कौशल विकास के बारे में कहा कि कौशल विकास के संदर्भ में भी हमें सीखने का प्रयास सतत करते रहना चाहिए। परम पूजनीय सुदर्शन जी ने हर विषय को सीखने का प्रयास किया, सीखने का आयु से कोई संबंध नहीं। वे हमेशा नए नए विषयों को सीखते और अपने कार्य के अनुकूल उसे बनाते रहते थे।

विभिन्न भाषाई समूहों से की भेंट

सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने प्रवास के पहले दिन देर शाम भोपाल में रहने वाले विभिन्न प्रांतों के भाषाई समूहों से ठेंगड़ी भवन में मुलाकात की। भोपाल विभाग के विभाग संघचालक राजेश सेठी ने बताया कि कार्यक्रम में देशभर के विभिन्न प्रांतों के लगभग 18 भाषाई समूहों के गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

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