हिन्दू आस्थाओं पर चोट अब नहीं सहेंगे, सकल समाज ने अजमेर में निकाला शांति मार्च

हिन्दू आस्थाओं पर चोट अब नहीं सहेंगे, सकल समाज ने अजमेर में निकाला शांति मार्च

हिन्दू आस्थाओं पर चोट अब नहीं सहेंगे, सकल समाज ने अजमेर में निकाला शांति मार्चहिन्दू आस्थाओं पर चोट अब नहीं सहेंगे, सकल समाज ने अजमेर में निकाला शांति मार्च

देश भर में हिन्दुओं पर हो रहे हमलों, उनकी आस्थाओं पर हो रही चोट और आराध्यों पर अपमानजनक टिप्पणियों से पूरा हिन्दू समाज आहत है। यही कारण है कि सदैव शांति और सदाचार से रहने वाला हिन्दू समाज अब इस्लामिक अत्याचारों के विरोध स्वरूप सड़कों पर उतरने के लिए बाध्य हुआ है।

रविवार (26 जून) को अजमेर में एक ऐसा ही दृष्टांत सामने आया। सनातन संस्कृति को खंडित करने के प्रयासों, हिन्दू देवी देवताओं का अपमान करने, उन पर अभद्र टिप्पणी करने सुनियोजित आगजनी एवं पथराव करने तथा मजहबी उन्माद फैलाने के विरोध में सकल हिन्दू समाज ने साधु संतों के नेतृत्व में शांतिपूर्ण रैली निकाली। परशुराम मंदिर लोको ग्राउंड में हजारों की संख्या में लोग इकट्ठा हुए, एक बार तो ग्राउंड ही छोटा पड़ गया। यहॉं से यह रैली कलेक्ट्रेट पहुंची, जहॉं हनुमान चालीसा पढ़ा गया और फिर कलेक्टर को राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन सौंपा गया।

ज्ञापन में हिन्दू देवी देवताओं का अपमान करने, पत्थरबाजी, आगजनी कर भय उत्पन्न करने, नूपुर शर्मा उनके परिवार को धमकियां देने तथा देशविरोधी गतिविधियों में लिप्त इस्लामिक कट्टरपंथियों जिहादियों के विरुद्ध कठोर कानूनी कार्यवाही की मांग की गई।

इस अवसर पर महिला संतों ने भी अपनी बात रखी। उनका कहना था कि हिन्दुओं की भावनाओं का लगातार अपमान हो रहा है, अभद्र टिप्पणियाँ की जा रही हैं, हमारी बेटियाँ लव जिहाद का शिकार हो रही हैं, उन्हें धमकी देकर मारा जा रहा है, उन पर तेजाब फेंक दिया जाता है। यह असहनीय है। साधुसंतों ने कहा कि इन घटनाओं के विरोध स्वरूप ही यह रैली निकाली गई है। 

रैली की विशेष बात यह रही कि यह रैली हिन्दू समाज ने स्वप्रेरणा से निकाली, इसमें किसी राजनीतिक दल या किसी  विशेष संगठन की पहल नहीं थी। हिन्दू समाज के प्रत्येक वर्ग की इसमें भागीदारी समर्थन था। व्यापार संघ ने भी शांति मार्च के समर्थन में अपने प्रतिष्ठान बंद रखे और रैली में भाग लिया। सभी ने देश की संवैधानिक कानूनी व्यवस्थाओं को दी जा रही चुनौती को देश व समाज के लिए घातक बताया।

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