अपना संस्थान का अभिनव प्रयोग: रसोई बगिया में अवशिष्ट से तैयार हो रहे औषधीय पौधे
जयपुर। अक्सर हम देखते हैं कि रसोई से निकलने वाला वेस्ट घरों के बाहर पड़ा हुआ बदबू मारने लगता है, जिसे गोवंश आदि मवेशी खा लेते हैं। इससे संक्रमण फैलने जैसा खतरा भी बना रहता है तथा उसे खाने वाले मवेशी का दूध भी अशुद्ध हो जाता है। इससे निजात दिलाने के लिए अपना संस्थान ने रसोई की बगिया नाम से एक अभिनव प्रयोग शुरू किया है। इस प्रयोग के माध्यम से घरों में सूक्ष्म प्लांट लगाकर रसोई से निकलने वाले वेस्ट को पौधों के लिए उपयोगी बना रहे हैं। प्लांट में 13 प्रकार के औषधीय व सुंगध वाले पौधे लगाकर घर की छत पर बगिया बनाने का यह प्रयोग जयपुर प्रांत में अब तक करीब पांच सौ परिवारों में शुरू किया जा चुका है।
अपना संस्थान के जयपुर प्रांत संयोजक अशोक शर्मा बताते हैं कि शहरों में भूमि के अभाव व कचरे के निस्तारण को ध्यान में रखकर रसोई की बगिया प्रकल्प शुरू किया गया है। इसमें एक 200 लीटर के खाली ड्रम में रसोई से निकलने वाले अवशिष्ट आदि से तीन परतें बनाकर उसमें नीम गिलोय, हारश्रृंगार, कचनार, मोगरा, चमेली समेत विभिन्न प्रकार के 13 प्रकार औषधीय पौधे लगाए जाते हैं। इसी ड्रम में एक जैविक गोउत्पाद डाला जाता है। जिससे बनने वाले कीट रसोई के अवशिष्ट को खाकर खाद में बदल देते हैं। वह खाद उन पौधों को पोषित कर तैयार करता है। इस प्रकार बाहर फेंकने की बजाय प्लांट में नियमित रूप से अवशिष्ट डालकर इसे सुचारू किया जाता है।
उन्होंने बताया कि पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में कार्य कर रहा अपना संस्थान पौधरोपण के साथ कई अभिनव प्रयोग कर समाज को प्रकृति से जोडऩे का कार्य कर रहा है। संस्थान का प्रयास है कि गांव-ढ़ाणियों से लेकर शहरों तक लोग प्रकृति संरक्षण के अभियान में जुडक़र जागरूक बन भागीदारी निभाएं। इसके लिए स्वच्छ भारत-स्वस्थ भारत, रसोई की बगिया, जापानी पद्धति से सघन पौधरोपण, पक्षी आवास व बर्ड फीडऱ आदि प्रकल्प चलाए जा रहे हैं। यहीं नहीं जयपुर प्रांत के जिलों में हजारों पौधरोपण किया जा चुका है तथा दूसरे प्रांतों में पक्षी आवास भेजकर समाज को अभियान से जोडऩे का प्रयास किए जा रहे हैं।
प्रांत प्रचार प्रमुख विवेकानंद शर्मा ने बताया कि रसोई की बगिया के सीकर, भिवाड़ी, जयपुर, भरतपुर में सैकड़ों प्लान्ट लगाए जा चुके हैं। इसके साथ ही घरों के बाहर 40 स्क्वायर फीट से भी कम जगह में जापानी पद्धति से 30 पौधे लगाने, सघन वन अभियान के तहत पिछले दिनों शिवाड़ में 1500 तथा सीकर में 7500 पौधरोपण किया गया। पक्षी आवास प्रकल्प में जयपुर प्रांत में हजारों पक्षी आवास लगवाए जा चुके हैं, साथ ही चित्तौड़ प्रांत को 32 हजार पक्षी आवास वहां के लिए भेजे गए हैं। उन्होंने बताया कि अभी बर्ड फीडर प्रकल्प शुरू कर पांच हजार फीडर तैयार किए हैं। जिन्हें पक्षियों के चुग्गा स्थल के रूप में उपयोग किया जाएगा। पॉलिथिन वेस्ट को प्लास्टिक की बोटल में ठूंस-ठूंसकर भर बाद में उपयोग का प्रयोग भी सफलतम सिद्ध हुआ है।