अपरिहार्य है मृत्यु भला उससे क्या डरना
मीनू गेरा भसीन
अपरिहार्य है मृत्यु
भला उससे क्या डरना
हर हाल में हों अच्छे कर्म
शुभ कर्मों से क्यों बचना
बचना है तो बचो बुराई से
उसे ग्रहण क्या करना।
इस पथ के कंटक हैं
विश्वासघात और धोखा
फिर भी श्रेष्ठ का चयन करें हम
हमको किसने रोका।
बहता पानी रुकता नहीं
शुद्ध भी है कहलाता
ऐसे ही पवित्र बनें हम
हो मानवता से नाता।
मरने पर भी याद करे दुनिया
कुछ ऐसा कर जाएं
हमें याद कर रोएं सब
सबकी आंखें नम कर जाएं।