नहीं रहे रामलला की प्राण प्रतिष्ठा करवाने वाले आचार्य लक्ष्मीकांत
नहीं रहे रामलला की प्राण प्रतिष्ठा करवाने वाले आचार्य लक्ष्मीकांत
अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा करवाने वाले मुख्य आचार्य और काशी के प्रकांड पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित का निधन हो गया। शनिवार सुबह सात बजे उन्होंने मंगला गौरी मंदिर के पास स्थित अपने आवास पर नश्वर शरीर का त्याग कर दिया। उनका अंतिम संस्कार काशी के महाशमशान मणिकर्णिका घाट पर दोपहर एक बजे विधि-विधानपूर्वक वैदिक रीति-रिवाज से किया गया। मुखाग्नि उनके ज्येष्ठ पुत्र जयकृष्ण दीक्षित ने दी।
जानकारी के अनुसार, मंगला गौरी मंदिर के पास स्थित अपने आवास के स्नानगृह में सुबह सात बजे वह स्नान कर रहे थे कि तभी अचानक गिर पड़े और जब तक लोग संभालते, हृदयगति रुकने से उनका निधन हो गया।
पं. लक्ष्मीकांत दीक्षित की विद्वत्ता और कर्मकांड की अत्यंत सूक्ष्म जानकारी को देखते हुए अयोध्या में भगवान श्रीराम जन्मभूमि पर नवनिर्मित भव्य मंदिर में उन्हें प्रभु श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा का दायित्व सौंपा गया था। उनके निर्देशन में 121 वैदिक विद्वानों व कर्मकांडी ब्राह्मणों के दल ने 16 जनवरी से 22 जनवरी तक रामलला के मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान संपन्न कराया था।
पं. लक्ष्मीकांत दीक्षित को उनकी विद्वत्ता व वेदों के प्रचार-प्रसार के कारण अनेक पुरस्कार व सम्मान प्रदान किए गए थे। जो निम्न प्रकार हैं।
• चारों पीठों के शंकराचार्य द्वारा विशेष सम्मान।
• 2012 में द्वारका ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती द्वारा ’वैदिक रत्न पुरस्कार’
• 2014 में ‘वेदसम्राट पुरस्कार’
• 2015 में ‘वैदिक भूषण अलंकरण’
• श्रृंगेरी के शंकराचार्य संस्थान द्वारा ‘वेदमूर्ति’ पुरस्कार
• ‘वेदसम्मान घनपाठी’ पुरस्कार
• साङ्ग वेद विद्यालय द्वारा ‘सम्मानपत्र’ एवं ‘वेदमूर्ति’ पुरस्कार
• 2016 में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन द्वारा देवी अहिल्याबाई राष्ट्रीय पुरस्कार
• 2019 में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय द्वारा स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती सम्मान।
• श्रृंगेरी पीठ द्वारा 2010 में विशेष सम्मान
• 2022 में लोकसभा अध्यक्ष द्वारा भारतात्मा पुरस्कार