अनगिनत बलिदानों से मिली थी आजादी
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वीरमाराम पटेल
लक्ष्मी की ललकार से मिली थी आजादी,
तात्या की तलवार से मिली थी आजादी।
कैसे भूल जाऊं मंगल पांडे की क्रांति को?
सत्तावन की हुंकार से मिली थी आजादी।
तिलक के जयघोष से मिली थी आजादी,
वंदे मातरम के उद्घोष से मिली थी आजादी।
कैसे भूल जाऊं चंद्रशेखर के साथ हुई गद्दारी को
ऐसे क्रांतिवीरों के हौंसलों से मिली थी आजादी।
प्रताप के भालों से मिली थी आजादी।
शिवा के मावलों से मिली थी आजादी।
स्मृति में है सुभाष की सेना
ऐसे मतवालों के संकल्प से मिली थी आजादी।
भगत के इंकलाब से मिली थी आजादी,
सावरकर की वीरता से मिली थी आजादी।
यूँ केवल चरखा ही कैसे लिख दूँ, जबकि
अनगिनत बलिदानों से मिली थी आजादी।