आपातकाल प्रसंग के तीन चरण
गुलाब बत्रा
आपातकाल प्रसंग के तीन चरण
जयपुर, 25 जून। पचास वर्ष पहले बुधवार के दिन अप्रत्याशित रूप से भारत में आपातकाल की घोषणा कर दी गई। तिथि थी – 25 जून, 1975 और एक ही रात में राजस्थान की राजधानी जयपुर में समाचार पत्रों सहित जनजीवन का परिदृश्य बदल गया।
इस परिदृश्य के साक्षी बने वरिष्ठ पत्रकार गुलाब बत्रा ने इस घटनाक्रम को साझा किया। तब वह न्यूज एजेन्सी हिन्दुस्तान समाचार में कार्यरत थे।
शहर परकोटे में जौहरी बाजार में 24-25 जून यानि मंगलवार-बुधवार की मध्य रात्रि में बारातियों को अजमेर ले जाने वाली बस खड़ी थी। राजस्थान विश्वविद्यालय छात्रसंघ के तत्कालीन अध्यक्ष विमल चौधरी के भाई का विवाह था। बाराती एकत्रित हो रहे थे। गुलाब बत्रा और छात्र नेता सुनील भार्गव टहलते हुए रामनिवास बाग की ओर जा रहे थे, तभी उन्हें एमआई रोड की तरफ से मिलिट्री से भरे ट्रकों की कतार दिखाई दी। मिलिट्री ट्रकों का यह कारवां जौहरी बाजार होते हुए दिल्ली की तरफ जा रहा था। यह देख गुलाब बत्रा ने सुनील भार्गव से कहा देश में कुछ विशेष होने वाला है।
खैर बारात की बस अल सुबह अजमेर रवाना हो गई। विवाहोत्सव की धूम से जब 26 जून गुरुवार को सुबह बस जौहरी बाजार लौटी, तब तक परिदृश्य बदल चुका था। सन्नाटा देख गुलाब बत्रा को अजीब लगा। बस से उतर उन्होंने निकटवर्ती यंग लीडर के कार्यालय से हिन्दुस्तान समाचार के ब्यूरो प्रमुख (स्व.) श्याम आचार्य को फोन किया। आचार्यजी ने आपातकाल लागू होने की जानकारी देते हुए तुरन्त कार्यालय पहुंचने का निर्देश दिया। साइकिल से कार्यालय पहुंचने के कुछ देर पश्चात् तत्कालीन जनसंघ नेता सतीश चन्द्र अग्रवाल का फोन आया। उन्होंने भैरोंसिंह शेखावत के साथ अपनी गिरफ्तारी के बारे में जानकारी देते हुए अपना वक्तव्य लिखाया। चूंकि यंग लीडर के सम्पादक जैनेन्द्र जैन ने गुलाब बत्रा को ताजा सूचना देने की ताकीद की थी, लिहाजा उन्होंने दोनों नेताओं की गिरफ्तारी एवं अग्रवाल के वक्तव्य सम्बन्धी समाचार को फोन पर लिखवाया।
सूरज चढ़ने के साथ आपातकाल से जुड़े घटनाक्रम का विवरण आने लगा। आचार्यजी को पहली रात दिल्ली स्थित हिन्दुस्तान समाचार के मुख्यालय से फोन पर आपातकाल लागू किये जाने और राष्ट्रीय स्तर के नेताओं की गिरफ्तारी की सूचना मिली, तब तक टेलीप्रिन्टर बंद हो चुके थे। उन्होंने राजस्थान पत्रिका नवज्योति के सम्पादकों को सूचित किया। नवज्योति के महेश चन्द्र शर्मा ने तत्काल समाचार पत्र का मुद्रण रुकवाया और शीर्ष हैडिंग बदलवाकर जहां-जहां सम्भव था, नया समाचार पत्र वितरित कराने का प्रयास किया। राजस्थान पत्रिका अपने पत्र का मुद्रण कराती, उससे पहले विद्युत लाईन काटी जा चुकी थी। तब तक यंग लीडर ने शेखावत व अग्रवाल सहित जयप्रकाश नारायण एवं अन्य नेताओं की गिरफ्तारी युक्त समाचार पत्र जौहरी बाजार इत्यादि स्थानों पर वितरित करवा दिया था।
आपातकाल से पहले, जेपी आन्दोलन के दौरान दिल्ली में 3-4-5 मार्च 1975 को जनसंघ के राष्ट्रीय अधिवेशन (यह पार्टी का अंतिम अधिवेशन सिद्ध हुआ) के कवरेज के लिए गुलाब बत्रा को जयपुर से दिल्ली भेजा गया था। आखिरी दिन जयप्रकाश नारायण का संबोधन था। मंच पर राष्ट्रीय अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी और राजमाता विजयाराजे सिंधिया उपस्थित थे। वरिष्ठ नेता अटल बिहारी वाजपेयी को अंत में बोलना था ताकि वे जेपी का यदि कोई विरोधाभासी कथन हो, तो उसका उत्तर दे सकें। जेपी की अगुवाई में 6 मार्च को रैली थी।
इस संदर्भ में माउंट आबू का विवरण प्रासंगिक है। वहां राजस्थान खेलकूद परिषद का ग्रीष्मकालीन शिविर, युवक कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यसमिति तथा जनसंघ की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक थी। इन सभी के कवरेज हेतु जयपुर से गये प्रेस दल में गुलाब बत्रा भी सम्मिलित थे। वहीं पर 12 जून, 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का लोकसभा चुनाव अवैध घोषित करने का निर्णय आया था। नये राजनीतिक घटनाक्रम के चलते तत्कालीन जनसंघ के नेता लालकृष्ण आडवाणी माउंट आबू आने की अपेक्षा दिल्ली चले गये। बाद में वह पार्टी की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में भाग लेने के लिए माउंट आबू आये। कार्यसमिति की बैठक में पारित राजनीतिक प्रस्ताव में देश की तत्कालीन राजनीतिक परिस्थितियों का उल्लेख किया गया और दस दिन बाद देश में आपातकाल की घोषणा कर दी गयी।