आरबीएम अस्पताल : गरीबों के हक पर जिम्मेदारों का डाका
भरतपुर। अस्पतालों में कोरोना संक्रमितों की संख्या कम होने का नाम नहीं ले रही। मौजूदा संसाधन कम पड़ रहे हैं। प्राइवेट अस्पतालों में इलाज महंगा है। कोई भी बीमारी हो गरीब सरकारी अस्पताल का रुख करता है। लेकिन भरतपुर का सरकारी आरबीएम अस्पताल अपने संसाधन अपने रोगियों के इलाज के बजाय प्राइवेट अस्पतालों को उपलब्ध करवा रहा है। लोग रेमडेसिविर इंजेक्शनों व वेंटीलेटर के लिए दर दर भटक रहे हैं, लेकिन आरबीएम अस्पताल रेमडेसिविर इंजेक्शन प्राइवेट अस्पतालों को बेच रहा है और वेंटीलेटर देकर किराया वसूल रहा है। और प्राइवेट अस्पताल इन्हीं इंजेक्शनों व वेंटीलेटरों की मरीजों से ऊंची कीमत वसूल कर चांदी काट रहे हैं।
भास्कर में छपी खबर के अनुसार अभी तक जिंदल अस्पताल को 25 रेमडेसिविर इंजेक्शन और सिटी अस्पताल को 4 रेमडेसिविर इंजेक्शन दिए गए हैं। लेकिन जिला आरबीएम अस्पताल प्रशासन को यह नहीं पता कि प्राइवेट अस्पताल रेमडेसिविर इंजेक्शन का मरीजों से कितना रुपया ले रहे हैं। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि निजी अस्पतालों को रेमडेसिविर इंजेक्शन देने के लिए जिला कलेक्टर के निर्देशन में एक टीम का गठन किया गया है। जो भी प्राइवेट अस्पताल इन इंजेक्शनों की मांग भेजता है तो वह कमेटी उस पर निर्णय लेती है और निर्धारित शुल्क जमा करवाने के बाद प्राइवेट अस्पतालों को इंजेक्शन दे दिया जाता है।
कुछ दिन पहले ही आरबीएम अस्पताल ने पीएम केयर्स फंड से मिले 40 वेंटीलेटर्स में से 10 वेंटीलेटर जिंदल अस्पताल को दिए थे। जिनके लिए कहा यह गया कि अस्पताल में 20 वेंटीलेटर पहले से हैं, यहॉं ऑक्सीजन प्वाइंट्स की कमी होने के कारण ये वेंटीलेटर काम में नहीं आ रहे थे इसलिए उन्हें जिंदल अस्पताल को किराए पर दे दिया गया। लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो जिंदल अस्पताल को अफसरों के रिश्तेदारों का इलाज करने का इनाम उसे 10 वेंटीलेटर व रेमडेसिविर इंजेक्शन के रूप में मिला। जिले के एक आईएएस की बुआ का इलाज इसी अस्पताल में हुआ। वे गाजियाबाद से इलाज के लाई गई थीं। कई आरएएस अफसरों ने भी अपने परिजनों और पहचान के लोगों को यहां भर्ती कराया था। सवाल यह भी उठता है कि यदि ये वेंटीलेटर इस अस्पताल में काम नहीं आ रहे थे तो उन्हें किसी दूसरे सरकारी अस्पताल में क्यों नहीं भेज दिया गया?
इससे पहले सरकार एक्सपायरी डेट निकट बताते हुए 10 हजार रेमडेसिविर इंजेक्शन की खेप पंजाब भेज चुकी है। जिन्हें बाद में भाखड़ा नहर में बहते हुए पाए जाने का दावा किया गया।
सांसद रंजीता कोली ने प्रशासन पर अस्पताल संचालक को राजनीतिक संरक्षण देने का आरोप लगाया है और सीएम से मामले की जांच की मांग की है।