राजस्थान : इन्दिरा रसोइयों में पक रहे घोटाले
कोई भी भूखा न सोए के संकल्प के साथ 20 अगस्त 2020 से प्रदेश के सभी 213 नगरीय निकायों में 358 रसोइयों के माध्यम से इन्दिरा रसोई योजना शुरू की गई थी, लेकिन अब यहॉं भूखों के लिए भोजन के साथ ही रोज नए नए घोटाले भी पक रहे हैं।
ताजा मामला मकराना की तीन इन्दिरा रसोइयों का है। इनके संचालकों ने 3 महीनों में साढ़े तीन लाख का सरकारी अनुदान हजम कर सरकारी सिस्टम को आईना दिखाया है। इनमें से इन्दिरा रसोई संख्या 12 के संचालक शौकत बादाम तो कोरोनाकाल में जरूरतमंदों को भोजन उपलब्ध करवाने के लिए एसडीएम द्वारा सम्मानित भी हो चुके हैं। लेकिन अब उनके विरुद्ध फर्जी कूपन काटकर सरकारी अनुदान उठाने और गबन करने का मामला सामने आया है। इंदिरा रसोई संख्या 11 अब्दुल मजीद खत्री द्वारा संचालित है, इन पर भी फर्जी कूपन काटकर फर्जी तरह से अनुदान उठाने के आरोप हैं।
ऐसे हो रहा था फर्जीवाड़ा
इन्दिरा रसोइयों में थाली की रेट 20 रुपए है, लेकिन भोजनकर्ता को यह 8 रुपए में उपलब्ध है। यानि संचालक को 8 रुपए का भुगतान स्वयं भोजनकर्ता तथा बाकी 12 रुपयों का भुगतान सरकार द्वारा अनुदान के रूप में किया जाता है। यहॉं आमतौर पर फर्जीवाड़ा दो तरह से होता है, पहला फर्जी कूपन काटकर और दूसरा थाली का पूरा पेमेंट और अनुदान दोनों लेकर। फर्जी कूपन मामलों में एक ही आदमी के नाम से कई कई कूपन काट दिए गए, फोटो अलग अलग एंगल से लिए गए, उन्हें धुंधला रखा गया, पिता के नाम बदल दिए गए जैसे कई हथकंडे अपनाकर आंखों में धूल झोंकी गई। दूसरी ओर दानदाताओं से भी पैसा ले लिया गया और अनुदान भी उठा लिया गया।
भारत में जन्मदिन, विवाह की वर्षगांठ, बरसी आदि पर दान पुण्य की परम्परा है। ऐसे अवसरों पर लोग जरूरतमंदों को मुफ्त भोजन कराते हैं। इंदिरा रसोई में (नगर निगम स्तर की) एक समय में 300 लोगों का भोजन बनता है। दानकर्ता 300 थालियों के एक साथ कूपन कटवा लेते हैं और 20 रुपए के हिसाब से 6000 रुपए संचालक को देकर चले जाते हैं। संचालक ने चूंकि थाली का पूरा भुगतान पहले ही किसी दानकर्ता से ले लिया है ऐसे में नियमानुसार वह सरकारी अनुदान का पात्र नहीं होता। लेकिन दानकर्ता देखने नहीं आता और प्रशासन का कोई चेक नहीं होता। इसलिए संचालक दानकर्ता से तो पैसे ले ही लेता है, सरकारी अनुदान भी उठा लेता है।
अन्य जिलों में भी हुए हैं फर्जीवाड़े
5 महीने पहले झुंझुनूं जिले के खेतड़ी, मंडावा और विद्या विहार पिलानी में चलने वाली इंदिरा रसोइयों से भी ऐसे ही फर्जीवाड़ों के समाचार आए थे। संचालकों ने लगातार कई महीनों तक फर्जी कूपन काटकर सरकार से लगभग 18 लाख रुपए का भुगतान उठा लिया था। ये लोग दिन में बना खाना ही शाम को भी परोस रहे थे, इसमें भी बचत हो रही थी।
खेतड़ी में संचालकों ने भाेजन बनने से पहले ही 101 फर्जी कूपन काट दिए। इन सभी कूपनों पर कंप्यूटर ऑपरेटर ने अलग- अलग एंगल से खुद के ही फोटो खिंचवाकर लगा दिए। यहां 67913 लाेगाें काे भाेजन कराने के फर्जी बिल देकर 814956 रुपए की राशि उठा ली गई।
मंडावा में जांच में सामने आया कि यहां दोपहर में बची सब्जी और दाल रात को भी उपयोग में लाई गई। कंप्यूटर ऑपरेटर रविंद्र शर्मा ने अपने ही फोटो अलग-अलग एंगल से खिंचवाकर कूपन काट दिए। एक अन्य व्यक्ति के भी इसी तरह फोटो लिए गए। जांच में यहां फर्जी तरीके से 16648 भोजन के पेटे 199776 रुपए उठाए गए।
पिलानी विद्याविहार नगर पालिका की इंदिरा रसाेई जिसका संचालन महिला उत्थान आजीविका शहरी समिति लिमिटेड करती है, में खाने की गुणवत्ता सही नहीं मिली। इसके साथ ही जो भी फोटो खींचे गए वे सभी खराब क्वालिटी के धुंधले फोटो थे। लोगों के माेबाइल नंबर भी दर्ज नहीं थे। ऑपरेटर स्वयं के नाम पर फर्जी कूपन काटता रहा। यहां 64001 भाेजन कूपन फर्जी तरीके से काटकर 768012 रुपए का घपला किया गया।
भरतपुर में नीम द गेट पर संचालित रसोई में भी फर्जीवाड़ा पकड़ा गया। 18 फरवरी को इस रसोई में 864 लोगों को सुबह व 298 लोगों को शाम को यानि एक दिन में कुल 1162 लोगों को खाना खिलाना बताया गया। डेटा का निरीक्षण करने पर पता चला कि 976 लोगों के मोबाइल नंबर ही फीड नहीं थे। 138 ऐसे लोग थे जिनको एक ही समय में दो-दो कूपन दे दिए गए। फर्जी कूपन काटने के चक्कर में नाम भी गलत लिखे गए। किसी कूपन की फीडिंग में नाम आरएसबीएसए, एआरएसजेजे किसी में गणेश तो किसी में विक्रम नाम लिखकर एक ही फोटो का उपयोग किया गया।
इन्दिरा रसोइयों में चल रहे गोरखधंधे की लोगों ने कई जगह शिकायत की। निरीक्षण हुए तो फर्जीवाड़े सामने आए, जिन्होंने कई प्रश्न भी खड़े किए। जैसे एक ही आदमी की अलग-अलग एंगल से फोटो, कभी पकड़ में क्यों नहीं आई? जिलों में संचालित इंदिरा रसाइयों की निगरानी के लिए कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समन्वय व निगरानी समितियां बनी हैं। बीच बीच में प्रशासन इंदिरा रसाेइयों का निरीक्षण भी करता है, फिर भी ऐसी अनियमितताएं बेधड़क कैसे चल रही हैं।
शौकत बादाम की इन्दिरा रसोई संख्या 12 मकराना के बाईपास तिराहा स्थित उनके रेस्टोरेंट कोहिनूर से संचालित होती है, जहां मांसाहारी भोजन भी बनता है। लोगों का कहना है कि इन्दिरा रसोई की पूरी संरचना शाकाहारी भोजन की है ऐसे में मांसाहार परोसने वाले रेस्टोरेंट से शाकाहारी इन्दिरा रसोई का संचालित होना भी सवालों के घेरे में है क्योंकि वहॉं शाकाहारी व्यक्ति भोजन करने जाता ही नहीं या जाने में कतराता है।
पानी सिर से ऊपर चढ़ने के बाद अब नगर निगम ने अपने खर्चे पर सीसीटीवी कैमरा लगाने का फैसला किया है और समिति ने निकायों में जांच के निर्देश भी जारी किए हैं।