अरबी के अवरात से बने उर्दू शब्द औरत का अर्थ है वैजाइना
हिजाब: कुरान का पालन या फसाद की तैयारी (अंतिम कड़ी)
प्रो. कुसुमलता केडिया
अरबी के अवरात से बने उर्दू शब्द औरत का अर्थ है वैजाइना
मुख्य बात यह है कि औरत का जो person है, उसके विषय में इस्लाम बहुत स्पष्ट है। यहां तक कि स्वयं इस “औरत” शब्द का भी इस्लाम में जो अर्थ है, वह समझना चाहिए।अरबी में अवरात शब्द है और उर्दू में औरत। जिसका सुनिश्चित और स्पष्ट अर्थ है pudenda या vagina (वैजाइना) या vulva या woman’s external genitals जिसे हिंदी में योनि कहते हैं, तो औरत को वैजाइना यानि योनि की ही संज्ञा दी गई है इस्लाम में और उसको संबोधन योनि का ही दिया गया है। मेरी आयु अब पर्याप्त हो गई है, इसलिए मुझे यह आवश्यक लगा कि खरी खरी बातें कहूं। जानती तो बहुत पहले से थी परंतु कम आयु में ये शब्द मुंह में नहीं आते थे। परंतु सत्य की प्रतिष्ठा के लिए थोड़ी हिम्मत तो करनी होगी ।
यहां तक कि जो निकाह है, वह भी इसी pundenda, इसी योनि का आनंद लेने के लिए है। यह बहुत स्पष्ट है और इसीलिए अगर तलाक होता है तो जो मेहर की रकम दी जाती है, उसके लिए इसमें कहा गया है कि यह जो स्त्री की योनि है, जिसे औरत कहते हैं, उसके भोग का, उसके साथ समागम का, उसके साथ आनंद लेने का किराया है, उजुरत है। यह साफ-साफ कहा गया है। सूरा 4 की 24वीं आयत औऱ सूरा 33 की 50 वीं आयत यह निर्देश देती है।
चाचा की बेटियां हों या खाला की या फिर मामू जान की बेटियां हों, उनमें से किसी से भी निकाह किया जा सकता है और तलाक होने पर इसी औरत यानी pudenda से प्राप्त आनंद के किराए के रूप में मेहर की रकम दी जाती है।क्योंकि औरतें मर्दों की खेतियाँ हैं, जितनी बार चाहो, भोग करो, यह मर्द का हक़ है। विरोध करने वाली औरत को मारने-पीटने का भी हक़ है मर्द को। तो क्या हमारे न्यायालय दो प्रकार की स्त्रियों का वर्ग या श्रेणी बनाएंगे? एक वह जो पति के मिलन के आग्रह को घरेलू हिंसा कहकर अस्वीकार कर सकती है और पति को दण्डित करा सकती है, दूसरी वह औरत जो खसम द्वारा समागम के लिए पीटी जा सकती है और जिसकी कुल पहचान ही pudenda है और वह उसका किराया लेती है और शौहर को मना नहीं कर सकती वरना पीटी जाएगी क्योंकि वह मुस्लिम है? स्त्री का ऐसा अपमान, तिरस्कार, अवमूल्यन? मन काँप उठता है यह पढ़कर ही।
तो औरत का person क्या है इस्लाम में?
क्या इसे भी वे लोग मानती हैं जो इस तरह सड़कों पर निकल रही हैं? और क्या कहीं भी इस्लाम में यह कहा गया है कि औरतें, बाहरी मर्दों के सामने, अपने घर के बाहर के लोगों के सामने खुले मुंह इस तरह सड़कों पर निकलें और नारे लगाएं, जलसा जुलूस करें, शासन के विषय में परामर्श दें, शासन को क्या करना चाहिए, क्या नहीं करना चाहिए, यह बताएं?
कुरान की किस आयत में औरत को यह हक दिया गया है? किस आधार पर ये औरतें खुले मुंह सड़कों पर दौड़ती घूमती हैं और फिर स्कूल/कॉलेज में हिजाब के नाम पर हिंदुस्तान को हिला देने की बात कह रही हैं? ये किसी भी तरह मोमिन तो नहीं हो सकतीं। इस्लाम के लिए तो ये न जी रही हैं, ना उसके लिए काम कर रही हैं। यह स्पष्ट है। क्योंकि ये इस्लाम में ईमान नही लातीं। ये कुरान के निर्देशों पर नही चलतीं। तो फिर यह किसके लिए काम कर रही हैं? इस बात की जांच होनी चाहिए। क्या ये आतंकवादियों को कवर फायर देने के लिए काम कर रही हैं कि जिससे आतंकवादी कहीं भी हिजाब के नाम पर मुंह ढंक कर जाएं, आंखों में चश्मा भी लगा लें ताकि पहचाने नहीं जा सकें। यदि कहीं जाएं तो उनकी जांच नहीं होगी। उन्होंने बम या कोई अस्त्र छुपा रखा है या कंप्यूटर या नक्शा या कोई घातक हथियार छुपा रखा है या कोई खतरनाक वस्तु छुपा रखी है। कल को उसकी जांच पर भी आपत्ति करेंगे कि पराया मर्द औरत को हाथ नहीं लगा सकता और आप बहुत बड़ी भीड़ बनाकर जगह-जगह दौड़ेंगे, सड़कों पर बलवा करेंगे, फसाद करेंगे।
हिजाब के मामले का तो इस्लाम से कोई रिश्ता नहीं दिखता।यह तो स्थापित सत्ता को बलवा के द्वारा पलटने का प्रयास किया जाता दिखता है। इसके लिए तो इस्लाम में सजा-ए-मौत है। तो क्या आप इसे स्वीकार करेंगे? और स्त्रियों को इस तरह सड़कों पर निकल कर शासन से मांग करना और शासन को बताना कि वह क्या करे, क्या नहीं करे, यह इस्लाम के किसी भी प्रावधान के अनुसार जायज नहीं है।
अतः ये इस्लाम के लिए तो काम नहीं कर रही हैं। इनका कोई अन्य प्रयोजन है। यह किसी अन्य के लिए काम कर रही हैं। यह बहुत स्पष्ट है।
समाप्त
Ridiculous way if treatment towards women
मैं शपथ लेता हूँ की आज से किसी भी स्त्री को औरत नहीं कहूंगा। स्त्री धन चाहे अपना हो या पराया।
हरे कृष्णा , हरे राम