कन्हैया लाल की हत्या को दो वर्ष हो गए, न्याय कब?

कन्हैया लाल की हत्या को दो वर्ष हो गए, न्याय कब?

कन्हैया लाल की हत्या को दो वर्ष हो गए, न्याय कब?कन्हैया लाल की हत्या को दो वर्ष हो गए, न्याय कब?

जयपुर। कन्हैया लाल की हत्या को दो वर्ष बीत गए। कन्हैया का पूरा परिवार और उस गली के लोग, जहॉं कन्हैया की हत्या हुई थी, आज भी सदमे में हैं। सर्व हिन्दू समाज न्याय की प्रतीक्षा कर रहा है। लोगों को आज भी याद है मोहम्मद रियाज अंसारी और गौस मोहम्मद का वह चित्र, जिसमें दोनों के हाथों में छुरा और आंखों में जिहाद का दर्प था और याद है वह वीडियो भी, जो उसने 17 जून, शुक्रवार के दिन बनाया था, जिसमें वह कह रहा था, “…. मेरा सब कुछ आप पर कुर्बान रसूल अल्लाह..… मौत आएगी तो जन्नत मिलेगी, जेल में भी गए तो कोई दिक्कत नहीं है….अल्लाह हर किसी को सिर कलम करने की हिम्मत नहीं देता है…. अल्लाह का फरमान है गुस्ताख–ए–नबी की एक ही सजा, सर तन से जुदा।” ये भाव बताते हैं कि यह हत्या कन्हैया की हत्या नहीं थी, एक काफिर की हत्या थी। यह उस विचार की हत्या थी, जो इस्लाम में श्रद्धा नहीं रखता।

अब उन्मादी मोहम्मद अंसारी को जन्नत मिलेगी या नहीं कोई नहीं जानता, लेकिन उसने कन्हैया लाल के परिवार को जो यातना दी है, वह किसी नर्क से कम नहीं। कन्हैया के बड़े बेटे यश कहते हैं, अपनी आंखों के सामने पिता की ऐसी दुर्दांत मौत देखना और इतना समय बीत जाने के बाद भी खौफ में रहना कैसा होता है, यह कोई मुझसे या मेरे परिवार से पूछे। मेरी मॉं हर समय मायूस रहती है। हमें घर आने में देर हो जाए तो मॉं की हालत खराब हो जाती है। यश के बाल बड़े हो गए हैं, वे चप्पल भी नहीं पहनते क्योंकि अपने पिता की हत्या के बाद उन्होंने प्रण लिया था कि हत्यारों को जब तक फाँसी नहीं हो जाएगी वे नंगे पैर रहेंगे, बाल नहीं कटवाएंगे और पिता की अस्थियाँ भी विसर्जित नहीं करेंगे। यश की मॉं कहती हैं, बेटे को तपती गर्मी में नंगे पैर ड्यूटी पर जाते देखती हूँ तो मन व्यथित हो जाता है। अब इस मामले में और देरी नहीं होनी चाहिए। जल्द से जल्द सुनवाई पूरी कर हत्यारों को फाँसी दी जानी चाहिए।

पीड़ित परिवार के घर के बाहर 24 घंटे 5 पुलिसकर्मी तैनात रहते हैं। जिला कलेक्ट्रेट में LDC के पद पर कार्यरत यश और उनके भाई, दोनों की ड्यूटी के दौरान भी गार्ड्स साथ रहते हैं। उदयपुर शहर से बाहर जाने से पहले उन्हें थाने में सूचित करना होता है। वहीं, राज्य से बाहर जाने पर वहां के स्थानीय थाने में भी जाकर एंट्री करवानी होती है।

NIA की ओर से सीज की गई कन्हैयालाल की दुकान को अब खोल दिया गया है। एनआईए की विशेष अदालत में गवाहों के बयान पूरे नहीं हुए हैं। गुरुवार को कन्हैया के बेटों और सीआई हनुमंत सिंह सहित चार जनों के बयान होने थे, लेकिन अभियोजन पक्ष की ओर से कुछ दस्तावेज मांगने के कारण नहीं हो पाए। आगामी 6 जुलाई को बयानों पर तर्क वितर्क होना है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रियाज और गौस मोहम्मद सहित इस मामले के 8 आरोपित अभी अजमेर की हाई सिक्योरिटी जेल में बंद हैं। इस मामले में एक आरोपित को जमानत भी मिल चुकी है। सभी आरोपितों को अलग-अलग कोठरी में रखा गया है। अपराधी जेल में बैठकर क्या सोचते हैं, उन्हें अपने किए का आज भी कोई पछतावा है या नहीं, पता नहीं। लेकिन इस जघन्य हत्या और हत्यारे के वायरल वीडियो में कही गई बातों से उपजे प्रश्न आज भी अनुत्तरित हैं। जैसे- एक सेक्युलर देश में मजहबी शिक्षा क्यों? मजहबी शिक्षा के नाम पर क्या पढ़ाया जा रहा है, इस पर चेक क्यों नहीं? क्या कारण है, जो मजहबी शिक्षा से मोहम्मद रियाज अंसारी और गौस मोहम्मद जैसे जहरीले दिमाग तैयार होते हैं? सरकार गैर पंजीकृत मदरसों पर कार्रवाई क्यों नहीं करती है?

अभी प्रदेश में लगभग 3330 पंजीकृत मदरसे हैं, जिनमें एक लाख 81 हजार 829 बच्चे पढ़ रहे हैं। लगभग इतने ही या हो सकता है कि इससे अधिक भी निजी स्तर पर चल रहे हों, और ये ही वो मदरसे हैं जो मोहम्मद रियाज अंसारी और गौस मोहम्मद जैसे जहरीले दिमाग तैयार कर रहे हैं। सरकार का इन पर कोई नियंत्रण नहीं है। सरकार के पास यह तक जांचने का मैकेनिज्म नहीं है कि आखिर ये मदरसे किस पैसे से चल रहे हैं या शायद मैकेनिज्म होने के बावजूद वोट बैंक की मजबूरियां सरकार को ऐसी किसी भी जांच को करने से रोकती हैं।

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