करतारपुर गुरुद्वारे का रख रखाव अब ISI समर्थित संस्था ETPB करेगी
पाकिस्तान में न तो अल्पसंख्यक सुरक्षित हैं और न ही उनकी आस्था के केंद्र। दोनों ही अक्सर साजिशों का शिकार होते रहते हैं। अभी निशाने पर करतारपुर गुरुद्वारा है। अब इस गुरुद्वारे के रख-रखाव का काम सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के बजाय ETPB यानी Evacuee Trust Property Board करेगा। इस बोर्ड की प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट में कुल 9 सदस्य हैं, लेकिन उनमें एक भी सिख समुदाय से नहीं है। ऐसा माना जाता है कि ईटीपीबी को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई कंट्रोल करती है यानि अब करतारपुर गुरुद्वारे का रख रखाव आईएसआई की निगरानी में होगा। इस संस्थान का सीईओ मोहम्मद तारिक खान को बनाया गया है। पाकिस्तान सरकार के इस फैसले में यह भी कहा गया है कि गुरुद्वारे का रख-रखाव करने वाली प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट इस संबंध में एक प्रोजेक्ट बिज़नेस प्लान भी बनाएगी यानि पाकिस्तान सरकार इस आस्था केंद्र का व्यवसायीकरण करेगी।
करतारपुर गलियारे को खोलने से पहले ही पाकिस्तान ने कहा था कि वह प्रत्येक श्रद्धालु से 20 डॉलर सर्विस फीस वसूलने का इरादा रखता है। भारत ने इस पर आपत्ति की थी। फिलहाल कोरोना महामारी के चलते करतारपुर कॉरिडोर बंद है। भारत ने कहा है कि इसे खोलने का निर्णय पाबंदियों में ढील होने के बाद सही समय पर लिया जाएगा। 30 नवंबर को गुरु नानक देव जी की 551वीं जयंती है, जिसके लिए पाकिस्तान ने सिख श्रद्धालुओं को आमंत्रित किया है, वहीं भारत के सामने भी पाक ने करतारपुर कॉरिडोर को खोलने का प्रस्ताव रखा है।
क्या है करतारपुर कॉरिडोर?
सिखों के पवित्र स्थलों में से एक करतारपुर साहिब को गुरुनानक देव का निवास स्थान माना जाता है। पाकिस्तान स्थित इस स्थान पर ही गुरुनानक देव ने अपनी अंतिम सांसें ली थीं। कॉरिडोर बनने से पहले सिख श्रद्धालु दूरबीन के माध्यम से करतारपुर गुरुद्वारे के दर्शन करते थे।
भारत में पंजाब के डेरा बाबा नानक से अंतर्राष्ट्रीय सीमा तक कॉरिडोर का निर्माण किया गया है, वहीं पाकिस्तान में भी सीमा से नारोवाल जिले में गुरुद्वारे तक कॉरिडोर का निर्माण हुआ है। इसी को करतारपुर साहिब कॉरिडोर कहा गया है। करतारपुर कॉरिडोर को लेकर पाकिस्तान की चाल कई बार सामने आ चुकी है।