1989-90 में कश्मीरी हिन्दुओं का सातवां विस्थापन था और यह अंतिम साबित होगा – दत्तात्रेय होसबाले

1989-90 में कश्मीरी हिन्दुओं का सातवां विस्थापन था और यह अंतिम साबित होगा – दत्तात्रेय होसबाले

1989-90 में कश्मीरी हिन्दुओं का सातवां विस्थापन था और यह अंतिम साबित होगा – दत्तात्रेय होसबाले

  • नवरेह महोत्सव 2021 के शौर्य दिवस पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह ने किया संबोधित
  • संजीवनी शारदा केंद्र जम्मू कश्मीर ने तीन दिवसीय महोत्सव का आयोजन किया था

जम्मू। विस्थापित कश्मीरी हिन्दू समाज के लिए इस वर्ष चैत्र मास के नवरात्र/हिन्दू नव वर्ष, (कश्मीरी भाषा में नवरेह) विशेष रहा। विस्थापन के तीन दशकों के बाद पहली बार ऐसा अवसर आया कि जब कश्मीरी हिन्दू विस्थापित समाज ने नवरेह उत्सव को त्याग एवं समर्पण, संकल्प और शौर्य दिवस के रुप में मनाया। संजीवनी शारदा केंद्र, जम्मू कश्मीर द्वारा आयोजित महोत्सव का आगाज 12 अप्रैल को त्याग दिवस के साथ हुआ, 13 अप्रैल नवरेह को संकल्प दिवस और समापन बुधवार को सम्राट ललितादित्य के विजय दिवस को शौर्य दिवस के रुप में मनाया। तीन दिवसीय महोत्सव का समापन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी के संबोधन के साथ हुआ, जिसे संजीवनी शारदा केंद्र द्वारा सोशल मीडिया पर विभिन्न माध्यमों से लाइव प्रसारित किया गया। नवरेह महोत्सव, 2021 को केंद्र शासित प्रदेश के 150 से अधिक सामाजिक और धार्मिक संगठनों ने समर्थन दिया था।

सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने नवरेह की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि संकल्प में शक्ति होती है और जब संकल्प राष्ट्र धर्म और समाज के लिए हो तो उसमें शक्ति सौ गुणा बढ़ जाती है। विदेशी आक्रांताओं से हमारे पूर्वज सदियों तक संघर्ष करते रहे, लेकिन कभी हार नहीं मानी। जैसे शिर्य भट्ट जी ने त्याग और समर्पण का उदाहरण प्रस्तुत किया था और वैसे ही ललितादित्य जी ने शौर्य की मिसाल पेश की थी, इन हस्तियों के जीवन से शिक्षा लेकर इसका अनुसरण भी आवश्यक है। उन्होंने ललितादित्य के शौर्य का जिक्र करते हुए कहा कि कैसे बप्पा रावल के सहयोग से ललितादित्य ने अरबी आक्रमणकारियों को परास्त किया था।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह ने कश्मीरी हिन्दुओं के त्याग और बलिदान की चर्चा भी अपने संबोधन में की। उन्होंने कहा कश्मीरी हिन्दुओं ने पिछले कई दशकों से त्याग, बलिदान और संकट सहते हुए जिस तरह से धर्म की रक्षा की, वह इतिहास में एक उदाहरण है। टीका लाल टपलू जस्टिस नीलकंठ गंजू, सरला भट्ट व प्रेमनाथ भट्ट आदि कश्मीर में कितने ही लोग मजहबी उन्माद का शिकार हो गए, उनका अपराध केवल यह था कि वो हिन्दू जन्मे और कश्मीर में रहे।

कश्मीरी हिन्दुओं की रक्षा के लिए गुरु तेगबहादुर ने भी अपना बलिदान दिया था। कश्मीरी हिन्दुओं को कई बार विस्थापित होना पड़ा, 1989-90 में कश्मीरी हिन्दुओं का सातवां विस्थापन था और यह अंतिम विस्थापन साबित होगा। उन्होंने कहा कि कश्मीरी हिन्दुओं द्वारा अगला नवरेह कश्मीर में मनाने का संकल्प सार्थक होगा, ऐसा उन्हें पूर्ण विश्वास है।

दत्तात्रेय होसबाले ने कश्मीरी हिन्दुओं का मनोबल बढ़ाते हुए यहूदियों और तिब्बितयों का भी उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि यहूदी अपनी मातृभूमि से खदेड़े जाने पर विश्व के कई देशों में बिखरे थे, लेकिन हर पीढ़ी ने यह संकल्प लिया कि वह अगला इस्टर इजरायल में मनाएंगे और ऐसा संघर्ष करते हुए आखिरकर सफल हुए। तिब्बती लोगों को भी चीन के आक्रमण के कारण तिब्बत छोड़ना पड़ा। तिब्बती आज भी यह संकल्प करते हैं कि वह एक दिन वापस जाएंगे। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में भारतीय सेना, अर्धसैनिक बल और जम्मू कश्मीर पुलिस के जवानों ने भी जिहादी उन्माद रोकने के लिए बलिदान दिए, उनका भी हमको स्मरण करना चाहिए।

जम्मू कश्मीर के राजनीतिक परिदृश्य और विकास पर चर्चा करते हुए दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि धारा 370 और 35-ए का जाना केंद्र शासित प्रदेश के लोगों के लिए एक मील का पत्थर है। जम्मू कश्मीर के विकास और उत्थान के लिए अनेकों वर्षों से लंबित काम वर्तमान सरकार कर रही है, जो सराहनीय है। इससे पूर्व कार्यक्रम के शुभारंभ में संजीवनी शारदा केंद्र के उपाध्यक्ष अवतार कृष्ण जी ने नवरेह महोत्सव 2021 में योगदान देने वाले सभी संगठनों का धन्यवाद किया।

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