कांग्रेस राज में जिहादियों में कानून का भय नहीं
झुंझनूं, 26 मई। आजकल लगभग प्रतिदिन ही कहीं न कहीं से मुस्लिमों के असहिष्णु व्यवहार के समाचार सुनने को मिल ही जाते हैं। वे कुछ भी करें बस उन्हें करने दो, आमजन हों या पुलिस, किसी के भी टोकते ही वे मार पीट पर उतारू हो जाते हैं और टोकने वाला यदि हिन्दू समाज से है तो उसकी जान पर भी बन सकती है।
ताजा मामला झुंझनूं शहर के खटीक मोहल्ले का है। स्थानीय लोगों के अनुसार, सोमवार रात्रि को मुस्लिम समुदाय के खालिद, साजिद, आसिफ, शमशाद, हसन, अफरीद, अजीज, शाहिद और महमूद कोरोना गाइडलाइन्स की धज्जियां उड़ाते हुए, झुंड बनाकर मोहल्ले में घूम रहे थे और खटीक समुदाय के लोगों के घरों में ताक झांक कर रहे थे। इस पर मोहल्ले के लोग बाहर आ गए और उन्होंने मुस्लिम युवकों को रोककर अपने अपने घर जाने को कहा। युवक चले भी गए, लोग भी अपने रुटीन में व्यस्त हो गए।
लेकिन थोड़ी ही देर में मुसलमानों की भीड़ हाथों में लाठी, सरिए और धारदार हथियार लेकर आ गई और खटीक परिवारों के घरों में घुसकर उन पर हमला कर दिया। हमले में महिलाओं, बच्चियों समेत एक दर्जन से अधिक लोग घायल हुए हैं। घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
प्रत्यक्षदर्शियों व पीड़ितों के अनुसार, मुस्लिम युवक तेज आवाज में जातिगत गालियां देने के साथ ही साम्प्रदायिक नारेबाजी भी कर रहे थे। हमलावरों के विरुद्ध नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई गई है तथा मुख्यमंत्री को भी घटना की जानकारी देते हुए त्वरित कार्यवाही की मांग की गई है।
इससे पहले 23 मई को सवाईमाधोपुर जिले के गंगापुर सिटी कस्बे में टैंकर को लेकर हुई कहासुनी के बाद मुसलमानों की भीड़ ने मीणा समाज को निशाना बनाया था। इसी प्रकार सवाईमाधोपुर कोतवाली थाना क्षेत्र में विनोबा बस्ती की एक महिला मुस्लिम युवकों की अभद्रता की तब शिकार बन गई जब वह मेडिकल स्टोर, दवाई लेने जा रही थी।
छबड़ा में मामूली कहासुनी के बाद चाकूबाजी और फिर योजनापूर्ण तरीके से हिन्दुओं पर हुए हमलों, लूटपाट और आगजनी की दहशत अभी मिटी भी नहीं थी कि एक के बाद एक हो रही ऐसी घटनाओं ने अनुसूचित जाति समाज ही नहीं बल्कि पूरे हिन्दू समाज में असुरक्षा की भावना भर दी है।
पिछले वर्ष 18 अप्रैल को झुंझनूं के ही पवन चावला की हत्या के अभियुक्त भी मुसलमान थे। जिनमें मुख्य साजिशकर्ता उम्मेद कुरैशी की अभी तक गिरफ्तारी नहीं हुई है।
आज के परिदृश्य में सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का- उक्ति मुसलमानों पर सही फिट होती है। उनकी असहिष्णुता यहॉं तक बढ़ गई है कि वे टोकने पर पुलिस पर हमला करने से भी नहीं हिचकते। पिछले दिनों जयपुर में दो मुस्लिम युवक बिना मास्क पहने मोटरसाइकिल पर जा रहे थे, यातायात पुलिस ने उन्हें रोककर मास्क के लिए टोका, इसी बीच युवकों की मोटर साइकिल फिसल गई और वे गिर गए। पुलिस उन्हें उठाने लगी, लेकिन गुस्साए युवक ने पास खड़ी महिला पुलिसकर्मी पर अपने हेल्मेट से हमला कर दिया, जिससे उसका जबड़ा टूट गया।
अपेक्षित कार्यवाही न होने के कारण ऐसे अराजक तत्वों का हौंसला दिन प्रति दिन बढ़ता ही जा रहा है। मुस्लिम समुदाय के प्रति कांग्रेस सरकार के विशेष प्रेम, उदार नीतियों एवं तुष्टीकरण ने सामाजिक ताने बाने को बहुत नुकसान पहुंचाया है। ऐसे में जहॉं हिन्दू समाज स्वयं को असुरक्षित महसूस कर रहा है वहीं आपराधिक प्रवृति के लोग बेखौफ होकर कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं।