आत्मनिर्भर भारत : ट्विटर को चुनौती देता हमारा कू
आजकल कू एप चर्चा में है। यह एक माइक्रोब्लॉगिंग साइट है, जिसे भारत में ट्विटर के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है।
पिछले दिनों आत्मनिर्भर एप इनोवेशन चैलेंज प्रतियोगिता आयोजित हुई थी, जिसका विजेता कू एप था। इस एप को मार्च 2020 में लॉन्च किया गया था, लेकिन ट्विटर और सरकार के बीच चल रहे मतभेद के चलते पिछले कुछ दिनों में कू को अचानक काफी लोकप्रियता मिली है। इस पर कई मंत्रियों, नेताओं, सेलीब्रिटीज ने अपने एकाउंट बनाए हैं। Koo को एप और वेबसाइट दोनों तरह से प्रयोग किया जा सकता है। इसका भी इंटरफेस ट्विटर जैसा ही है। इसमें शब्दों की सीमा 350 है।
कू पूरी तरह भारतीय एप है। इसे बेंगलुरु की कम्पनी बॉम्बिनेट टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड ने बनाया है। कू के सह-संस्थापक और सीईओ अप्रमेय राधाकृष्ण हैं। इसकी फंडिंग 3one4 कैपिटल, ऐक्सेल पार्ट्नर्ज, कालारी कैपिटल, ब्लूम वेंचर्ज और ड्रीम इंक्युबेटर ने की है। प्ले स्टोर पर इसके एक मिलियन से अधिक डाउनलोड हो चुके हैं। इसके चाइनीज कनेक्शन के सवाल पर अप्रमेय ने बताया कि Koo की पेरेंट कंपनी में चाइनीज इनवेस्टर शुनवेई कैपिटल (Shunwei Capital) का कुछ स्टेक है। शुनवेई ने शुरुआती ब्रांड Vokal में निवेश किया था। हमने अपने बिजनेस में Koo पर फोकस बढ़ाया है और अब शुनवेई बाहर निकलने वाली है। वह स्टेक दूसरी कम्पनियां खरीदने वाली हैं। हम पूरी तरह आत्मनिर्भर भारतीय ऐप हैं।
उन्होंने ट्वीट किया – “2.5 साल पहले पूँजी जुटाई थी। बॉम्बिनेट टेक्नोलॉजीस के लिए नए फंड्स भारतीय निवेशक 3one4 कैपिटल से मिले हैं। शुनवेई, जिसने हमारे वोकल में निवेश किया था, अब पूरी तरह से इससे बाहर जा रही है।”
इससे पहले अप्रमेय ने ऑनलाइन कैब सर्विस टैक्सी फॉर श्योर (Taxy For Sure) की भी शुरुआत की थी, जिसे उन्होंने बाद में ओला (OLA) को बेच दिया था और आज यह ओला कैब्स (OLA CABS) के नाम से प्रसिद्ध है। कू एप (Koo App) से पहले इसकी पेरेंट कंपनी बॉम्बिनेट टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड ने कोरा (Quora) का भी भारतीय विकल्प वोकल एप बनाया था।