केरल, जहॉं होती हैं संघ स्वयंसेवकों की निर्मम हत्याएं, वहॉं भी बाढ़ राहत कार्यों में स्वयंसेवक सबसे आगे

केरल, जहॉं होती हैं संघ स्वयंसेवकों की निर्मम हत्याएं, वहॉं भी बाढ़ राहत कार्यों में स्वयंसेवक सबसे आगे

केरल, जहॉं होती हैं संघ स्वयंसेवकों की निर्मम हत्याएं, वहॉं भी बाढ़ राहत कार्यों में स्वयंसेवक सबसे आगेकेरल, जहॉं होती हैं संघ स्वयंसेवकों की निर्मम हत्याएं, वहॉं भी बाढ़ राहत कार्यों में स्वयंसेवक सबसे आगे

वायनाड, 4 अगस्त। केरल, जहॉं होती हैं संघ स्वयंसेवकों की निर्मम हत्याएं, वहॉं भी बाढ़ राहत कार्यों में स्वयंसेवक अग्रिम पंक्ति में रहकर पीड़ितों की चिकित्सा, भोजन और पानी की व्यवस्था में जुटे हुए हैं, साथ ही मृतकों के अंतिम संस्कार में भी सहायता प्रदान कर रहे हैं। केरल पहले से बाढ़ का प्रकोप झेल रहा था। इसी बीच चूरलमाला में भारी बारिश के चलते दो अगस्त की रात को एक बड़ा भूस्खलन हुआ। इस आपदा में कई घर नष्ट हो गए और कई लोग मलबे में दब गए। इस भीषण त्रासदी में 290 से अधिक लोगों की मृत्यु की जानकारी सामने आयी है। सरकारी और गैर-सरकारी एजेंसियों के साथ-साथ सेवा भारती भी राहत कार्यों में जुटी है।

सेवा भारती, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का एक आयाम है और समाज में सेवा कार्यों के लिए प्रतिबद्ध है। यह संगठन सामाजिक और मानवीय कार्यों में सक्रिय है। इसके कार्यकर्ता इस समय केरल में पीड़ितों व प्रशासन की हर प्रकार से हर सम्भव सहायता कर रहे हैं।

चिकित्सा सहायता
प्राथमिक चिकित्सा और आवश्यक दवाइयों की व्यवस्था सेवा भारती द्वारा की जा रही है। घायलों का प्राथमिक उपचार किया जा रहा है। गंभीर रूप से घायल लोगों को पास के अस्पतालों में भेजा जा रहा है।

भोजन और पानी
प्रभावित लोगों को भोजन और पानी की आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है। स्वयंसेवक सामुदायिक रसोई चलाकर पीड़ितों के लिए ताजा भोजन तैयार कर रहे हैं।

आश्रय
जिन लोगों के घर तबाह हो गए हैं, उन्हें अस्थायी आश्रय उपलब्ध कराए जा रहे हैं। स्वयंसेवक टेंट और अन्य अस्थायी संरचनाएं बना रहे हैं ताकि लोग सुरक्षित रह सकें।

अंतिम संस्कार
भूस्खलन में मारे गए लोगों के शवों के अंतिम संस्कार में भी सेवा भारती के स्वयंसेवक सहायता कर रहे हैं और शोक संतप्त परिवारों को संबल प्रदान कर रहे हैं। बारिश में जहॉं शवदाह करना कठिन हो रहा है, वहीं सेवा भारती अपनी मोबाइल शवदाह प्रणाली चिताग्नि के माध्यम से अंतिम संस्कार को भी सुगम बना रही है। 

प्रशासन और अन्य एजेंसियों का सहयोग
स्थानीय प्रशासन, एनडीआरएफ और अन्य राहत एजेंसियों के साथ समन्वय बनाकर काम कर रही सेवा भारती यह सुनिश्चित कर रही है कि राहत कार्य तेजी से और प्रभावी ढंग से संचालित हों।
इस भूस्खलन ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में सामाजिक संगठनों का योगदान कितना महत्वपूर्ण होता है। सेवा भारती ने ऐसे अनेक उदाहरण प्रस्तुत किए हैं।

सिक्किम बाढ़
3 अक्टूबर, 2023 में तीस्ता नदी में भयंकर बाढ़ आई, जिससे तीस्ता बाज़ार और उसके आस-पास के क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुए। इस आपदा में सेवा भारती की उत्तर बंगाल इकाई ने पीड़ितों के बचाव एवं राहत कार्यों में अपना योगदान देने के साथ ही, उनकी स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए 40 प्रकार की दवाइयां वितरित कीं।

केरल बाढ़
इडुक्की राजमलाई में अगस्त, 2020 में आयी बाढ़ व बाद में हुए भूस्खलन ने भारी तबाही मचायी थी। उस समय भी सेवा भारती बचाव व राहत कार्य करने वालों में अग्रिम पंक्ति पर खड़ी थी। राजमाला पेट्टीमुडी में भूस्खलन में सैकड़ों की संख्या में फंसे लोगों में से 21 से अधिक लोगों को सेवा भारती के कार्यकर्ताओं ने बचाया था। केरल में 2018 में आयी बाढ़ में भी सेवा भारती ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। तीनों सेनाओं और एनडीआरएफ के साथ मिलकर सेवा भारती और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के हजारों स्वयंसेवकों ने राहत कार्यों में अपना सहयोग दिया था। उस समय स्वयंसेवकों ने सरकारों द्वारा भेजी राहत सामग्री तो बाढ़ पीड़ितों तक पहुंचायी ही, पीड़ितों को दुर्गम स्थानों से निकालने में भी प्रशासन की पूरी सहायता की। राष्ट्रीय सेवा भारती केरल को उसके इस योगदान के लिए 2018 और 2019 में दत्तोपंत ठेंगड़ी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

बिहार बाढ़
जुलाई, 2015 में बिहार में भयंकर बाढ़ आयी। तब भी सेवा भारती और आरएसएस के 11,000 से अधिक कार्यकर्ता बाढ़ पीड़ितों की सेवा में लगे रहे और 66,000 से अधिक पीड़ितों तक पहुंचे। बाढ़ पीड़ितों को हर दिन भोजन के पैकेट और दवाइयां उपलब्ध करवायीं।

गुजरात बाढ़
जुलाई, 2015 में गुजरात बाढ़ की चपेट में आया। उस समय सेवा भारती व संघ के स्वयंसेवकों ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 80,000 भोजन के पैकेट, 4,500 दूध के पाउच, 1,11,000 पानी के पाउच वितरित किए। लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करने और पीड़ितों की तुरंत सहायता करने के लिए सूरत में 4 स्थानों पर राहत केंद्र शुरू किए।

उत्तराखंड बाढ़
16 जून, 2013 के दिन हुई बारिश उत्तराखंड के लोगों पर कहर बन कर टूटी। दोपहर के समय बादल फटने से विनाशकारी बाढ़ और भूस्खलन हुआ, जो 2004 की सुनामी के बाद देश की सबसे खराब प्राकृतिक आपदा बन गई। बाढ़ से 4,550 गांव प्रभावित हुए। उस समय भी सेवा भारती और संघ के स्वयंसेवक पीड़ितों के लिए जैसे देवदूत बन कर आए।

आज देश में कहीं भी आपदा आए, समाज की नजरें स्वत: ही स्वयंसेवकों को ढूंढने लगती हैं। सेवा भारती व संघ स्वयंसेवकों को यह स्थान, प्रेम व विश्वास यूं ही नहीं मिला, इसके पीछे उनकी कड़ी मेहनत व निस्वार्थ सेवा भाव है। राजनीतिक क्षेत्र के जो लोग आरएसएस जैसे प्रतिष्ठित और सेवा भावी संगठन को देश विरोधी बताते हैं, उनके लिए सेवा भारती जैसा सेवाभावी संगठन एक दर्पण है।

वायनाड में राहत कार्यों में लगे संघ स्वयंसेवक

वायनाड में राहत कार्यों में लगे संघ स्वयंसेवक

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