क्या मंत्री के प्रति निष्ठा दिखाने के लिए त्योहारों और फिल्म को निशाना बनाया गया कोटा में?

क्या मंत्री के प्रति निष्ठा दिखाने के लिए त्योहारों और फिल्म को निशाना बनाया गया कोटा में?

क्या मंत्री के प्रति निष्ठा दिखाने के लिए त्योहारों और फिल्म को निशाना बनाया गया कोटा में?

जयपुर। कोटा में धारा 144 लगाए जाने के आदेश ने पूरे प्रदेश को आश्चर्यचकित कर दिया था, क्योंकि इसे लगाए जाने के कारण बड़े ही अजीब थे। हालांकि सोशल मीडिया से लेकर सड़क और फिर विधानसभा तक हल्ला मचा तो आदेश का स्पष्टीकरण तो जारी कर दिया गया, लेकिन यह बात अभी तक भी समझ से परे है कि आखिर ऐसा आदेश जारी ही क्यों किया गया?

कोटा जिला प्रशासन ने कोटा जिले में एक माह के लिए धारा 144 लगाने का जो आदेश जारी किया था, उसमें तीन प्रमुख कारण बताए गए थे, पहला चेटीचंड, महावीर जयंती, बैसाखी, रामनवमी और जमातुलविदा जैसे त्योहार, जिन्हें वहां की पुलिस और प्रशासन ने साम्प्रदायिक तौर पर “संवेदनशील” मान लिया। दूसरा फिल्म द कश्मीर फाइल्स की स्क्रीनिंग और तीसरा चम्बल व इसकी नहरों में जलजनित दुर्घटनाओं से उत्पन्न कानून व्यवस्था की स्थिति।

अब तीनों ही कारणों का विश्लेषण करें तो, कोटा जिला प्रशासन पर तरस खाने के अलावा कोई और बात नहीं सूझती। आदेश में जिन त्योहारों का उल्लेख किया गया था, उनमें चेटीचंड सिंधी समुदाय मनाता है, महावीर जयंती जैन समुदाय मनाता है, बैसाखी सिख समुदाय मनाता है, जमातुलविदा मुस्लिम समुदाय मनाता है और राम नवमी सभी मनाते हैं। इनमें से एक भी त्योहार पर किसी भी तरह के साम्प्रदायिक तनाव की स्थिति बनते कभी नहीं सुनी गई। ऐसे में अचानक ऐसा क्या हुआ कि कोटा जिला प्रशासन को ये सारे ही त्योहार साम्प्रदायिक तौर पर संवेदनशील लगने लगे?

दूसरा कारण फिल्म द कश्मीर फाइल्स का प्रदर्शन बताया गया जो राजस्थान ही  नहीं पूरे देश में शांतिपूर्ण ढंग से चल रही है। इसे लेकर कोई विवाद कहीं सामने नहीं आया। कोटा में भी दस दिन से फिल्म चल रही थी और किसी तरह की कोई अप्रिय घटना सामने नहीं आई थी फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि कोटा जिला प्रशासन को फिल्म शांति के लिए खतरा लगने लगी?

और तीसरा कारण चम्बल व इसकी नहरों में लोगों के डूबने आदि से उत्पन्न कानून व्यवस्था की स्थिति को बताया गया। ये घटनाएं वहां होती रही हैं और हाल के दिनों में ऐसा भी नहीं था कि इनमें अचानक बढ़ोतरी हो गई हो। ऐेसे में प्रश्न यह है कि अचानक ये घटनाएं प्रशासन को कानून व्यवस्था के लिए खतरा क्यों लगने लगीं?

इन तीनों के ही उत्तर प्रशासन के पास नहीं थे और यह इस बात से साबित होता है कि सोशल मीडिया और विधानसभा तथा सड़क पर हंगामा होने के बाद प्रशासन ने त्योहार शांतिपूर्ण ढंग से मनाने की अनुमति दे दी और फिल्म कश्मीर फाइल्स पर किसी तरह की निषेधाज्ञा नहीं होने की बात भी कह दी। ऐसे में अब बचा क्या और क्यों यह निषेधाज्ञा लगाई गई?

कोटा के स्थानीय लोगों का कहना है कि इस अजीब आदेश के पीछे एक बड़ा कारण कांग्रेस सरकार के प्रभावशाली मंत्री शांति धारीवाल के विरुद्ध 22 मार्च को हुआ प्रदर्शन था। कोटा की महिलाओं ने धारीवाल द्वारा दुष्कर्म के सम्बन्ध में विधानसभा में दिए गए बयान के विरोध में चंडी मार्च की घोषणा की हुई थी और इस प्रदर्शन को काबू में करने के लिए ही कहीं ना कहीं ऐसा अजीब आदेश निकाला गया। यह अलग बात है कि प्रदर्शन तो फिर भी हुआ और जमकर हुआ।

बहरहाल कारण चाहे कुछ भी रहे हों, लेकिन अधिकारियों ने जिस तरह शांतिपूर्ण त्योहारों और एक उद्देश्यपूर्ण फिल्म को निशाना बनाया और कहीं ना कहीं इन्हें बदनाम करने के प्रयास किए, उसके लिए उन्हें उत्तरदायी तो अवश्य बनाया जाना चाहिए।

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