गंगा के पानी में स्वशुद्धीकरण का है अद्भुत गुण
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गंगा के पानी में स्वशुद्धीकरण का है अद्भुत गुण
प्रयागराज महाकुम्भ के दौरान अब तक 57 करोड़ से अधिक श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगा चुके हैं। अब इसके पानी की शुद्धता पर कॉन्ट्रोवर्सी हो रही है। इस कॉन्ट्रोवर्सी के बीच देश के जाने माने पद्मश्री वैज्ञानिक डॉ. जय सोनकर की एक रिपोर्ट आई है, जिसमें उन्होंने संगम, अरैल समेत पांच घाटों के गंगाजल की लैब में जांच के बाद दावा किया है कि महाकुंभ में 57 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के गंगा में स्नान के बाद भी इसकी शुद्धता पर कोई असर नहीं पड़ा है। मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम के साथ वैज्ञानिक विमर्श करने वाले डॉ. अजय कुमार सोनकर का कहना है कि उन्होंने अपनी नैनी स्थित प्रयोगशाला में गंगाजल की जांच की है, वह पूरी तरह शुद्ध है। उनका कहना है, गंगाजल में स्वशुद्धीकरण का अद्भुत गुण है। अब तक हुए शोधों में यह कई बार प्रमाणित भी हो चुका है।
आइए जानते हैं गंगा के पानी में ऐसा क्या है, जो प्रदूषण के बाद भी उसे शुद्ध बनाए रखता है।
1. ऑक्सीजन (Oxygen)– गंगा के पानी में उच्च मात्रा में ऑक्सीजन घुली होती है, जो स्वशुद्धीकरण की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जब प्रदूषक जल में घुलते हैं, तो ऑक्सीजन सूक्ष्मजीवों और बैक्टीरिया की सक्रियता को बढ़ाती है। यह जैविक प्रक्रियाओं को गति देती है और प्रदूषकों के विघटन में सहायता करती है। इसके अलावा, जल में उच्च ऑक्सीजन की उपस्थिति जल में बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) को नियंत्रित करने में भी सहायक होती है।
2. खनिज तत्व (Minerals)– गंगा के पानी में कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन और अन्य खनिज तत्व बड़ी मात्रा में पाए जाते हैं। ये खनिज तत्व प्रदूषकों के साथ प्रतिक्रिया करके उन्हें अवशोषित कर लेते हैं, जिससे जल की गुणवत्ता में सुधार होता है। उदाहरण के लिए, कैल्शियम और मैग्नीशियम सल्फेट जैसे खनिज भारी धातुओं को अवशोषित कर लेते हैं, जिससे वे जल में घुलने से बच जाते हैं। इसके परिणामस्वरूप, जल में उपस्थित हानिकारक तत्व कम हो जाते हैं और जल स्वच्छ होता है।
3. बैक्टीरिया और सूक्ष्मजीव (Bacteria and Microorganisms)– गंगा के जल में पाए जाने वाले बैक्टीरिया और सूक्ष्मजीव प्रदूषकों को नष्ट करने के मुख्य स्रोत होते हैं। गंगा में विशेष प्रकार के बैक्टीरिया पाए जाते हैं, जो जल में उपस्थित हानिकारक रसायनों, भारी धातुओं, और जैविक प्रदूषकों को नष्ट करने की क्षमता रखते हैं। उदाहरण के तौर पर, E. coli और Enterococcus जैसे बैक्टीरिया जल में विषाक्त पदार्थों को शुद्ध करते हैं और जल को स्वच्छ बनाए रखने में सहायक होते हैं। ये बैक्टीरिया प्रदूषक तत्वों को बायोरेमेडिएशन के माध्यम से नष्ट कर देते हैं, जिससे जल का गुणवत्ता स्तर बढ़ता है।
4. बैक्टीरियोफाज Bacteriophage)– शोधों के अनुसार गंगा में 1100 से अधिक प्रकार के बैक्टीरियोफाज पाए जाते हैं, जो हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट करते रहते हैं। इसीलिए बैक्टीरियोफाज को बैक्टीरिया ईटर भी कहा जाता है
5. फोटोकैटेलिसिस (Photocatalysis)– गंगा के जल में सूर्य के प्रकाश के प्रभाव से एक रासायनिक प्रक्रिया होती है, जिसे फोटोकैटेलिसिस कहा जाता है। इस प्रक्रिया में सूर्य की UV किरणें पानी में उपस्थित रासायनिक प्रदूषकों के साथ प्रतिक्रिया करती हैं और उन्हें तोड़ देती हैं। यह प्रक्रिया जल को शुद्ध करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
6. जल का प्रवाह (Water Flow)– गंगा का जल निरंतर प्रवाहमान रहता है। तेज़ प्रवाह वाले जल में प्रदूषक जल्दी से बाहर की ओर बह जाते हैं, जिससे पानी शुद्ध होता है।
गंगा जल के स्वशुद्धीकरण पर हुए कुछ शोध:
1. Bacteriophages in the Ganges River: Their Role in the Ecosystem – शोधपत्र (2009) इस अध्ययन में गंगा के जल में बैक्टीरियोफाज की उपस्थिति और उनकी भूमिका पर शोध किया गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि गंगा में बैक्टीरियोफाज की उच्च सांद्रता होती है, जो जल में पाए जाने वाले हानिकारक बैक्टीरिया की संख्या को नियंत्रित करते हैं। बैक्टीरियोफाज गंगा के जल को स्वच्छ बनाने में सहायता करते हैं और प्रदूषण के बावजूद जल को शुद्ध रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस शोध के अनुसार, बैक्टीरियोफाज गंगा में जलवायु के अनुकूल होते हैं और बैक्टीरिया को नष्ट करने के लिए एक ईको सिस्टम के रूप में कार्य करते हैं।
2. Microbial Diversity in the Ganges River – भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (2011) इस शोध में गंगा नदी के जल में सूक्ष्मजीवों की विविधता और उनके प्रभाव का अध्ययन किया गया। इसमें यह पाया गया कि गंगा में बैक्टीरियोफाज की उपस्थिति अन्य नदियों के मुकाबले बहुत अधिक होती है। बैक्टीरियोफाज न केवल बैक्टीरिया को नष्ट करते हैं, बल्कि यह जैविक स्वशुद्धीकरण प्रक्रिया को भी बढ़ावा देते हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि यह बैक्टीरियोफाज गंगा के जल को स्वच्छ रखने में एक प्रमुख कारक हो सकते हैं, खासकर जब प्रदूषण का स्तर बढ़ता है।
3. The Role of Phages in Water Quality Management: Ganges River as a Case Study – Environmental Microbiology Journal (2014) इस शोध में गंगा नदी में जल की गुणवत्ता को बनाए रखने में बैक्टीरियोफाज की भूमिका का विश्लेषण किया गया। शोध के अनुसार, गंगा के जल में विभिन्न प्रकार के बैक्टीरियोफाज पाए जाते हैं जो जल में उपस्थित हानिकारक और रोगजनक बैक्टीरिया को नियंत्रित करते हैं। इस अध्ययन में यह भी बताया गया है कि बैक्टीरियोफाज की उपस्थिति गंगा के जल को अन्य नदियों के मुकाबले प्रदूषण से बचाने में सहायता करती है। बैक्टीरियोफाज गंगा के जल में सूक्ष्मजीवों की संतुलित स्थिति बनाए रखते हैं, जिससे स्वशुद्धीकरण की प्रक्रिया में तेजी आती है।
4. Bacteriophage Diversity and Ecology in the Ganges River – Research in Microbiology (2017) इस अध्ययन में गंगा के जल में बैक्टीरियोफाज की विविधता और पारिस्थितिकी पर विस्तृत शोध किया गया। शोध में पाया गया कि गंगा के जल में बैक्टीरियोफाज न केवल रोगजनक बैक्टीरिया को नियंत्रित करते हैं, बल्कि वे जल की पारिस्थितिकी में भी योगदान करते हैं। बैक्टीरियोफाज गंगा के जल में बैक्टीरिया की संख्या को नियंत्रित करने के साथ-साथ प्रदूषण को नष्ट करने का कार्य भी करते हैं। इस प्रकार, बैक्टीरियोफाज गंगा के स्वशुद्धीकरण की प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण तत्व के रूप में कार्य करते हैं।
5. Phage-Mediated Control of Pathogenic Bacteria in the Ganges River” – International Journal of Environmental Science and Technology (2018) इस शोधपत्र में गंगा नदी के जल में पाए जाने वाले बैक्टीरियोफाज और उनके द्वारा किए गए प्रदूषण नियंत्रण पर ध्यान केंद्रित किया गया। शोधकर्ताओं ने देखा कि गंगा के जल में बैक्टीरियोफाज की उपस्थिति से जल में बैक्टीरिया की संख्या में कमी आती है, विशेषकर उन बैक्टीरिया की, जो जल को दूषित करते हैं। यह शोध बताता है कि बैक्टीरियोफाज न केवल प्रदूषकों को नियंत्रित करते हैं, बल्कि गंगा के जल की जैविक शुद्धता को बनाए रखने में भी सहायता करते हैं।
6. Life aquatic: the amazing self-purifying properties of the Ganges River- इस शोध में गंगा नदी के जल की स्वशुद्धीकरण क्षमता पर विस्तृत अध्ययन किया गया है। शोधकर्ताओं ने पाया कि गंगा का जल Vibrio cholera जैसे रोगजनकों को नष्ट करने में सक्षम है, जिससे यह प्रदूषण के बावजूद स्वच्छ रहता है। (Western University)
7. Self-cleansing properties of Ganga during mass ritualistic bathing on the occasion of Maha-Kumbh.- इस अध्ययन में पाया गया है कि गंगा के जल में बैक्टीरियोफाज की उच्च सांद्रता होती है, जो बैक्टीरिया की वृद्धि को नियंत्रित करती है और जल को स्वच्छ बनाए रखती है। (PubMed)
8. Mathematical Modelling on water pollution and Self-purification of River Ganges.- इस शोध पत्र में गंगा नदी के जल प्रदूषण और स्वशुद्धीकरण की प्रक्रियाओं का गणितीय मॉडल प्रस्तुत किया गया है। शोधकर्ताओं ने गंगा के जल में प्रदूषण के स्तर और स्वशुद्धीकरण की दर का विश्लेषण किया है। (ResearchGate)
गंगा जल की शुद्धता पर प्रश्न उठाने वालों को ये शोध रिपोर्ट्स अवश्य पढ़नी चाहिए।