गंगा भारतीय संस्कृति की जीवन रेखा है

गंगा भारतीय संस्कृति की जीवन रेखा है

गंगा दशहरा पर विशेष

प्रो. विवेकानंद तिवारी

गंगा भारतीय संस्कृति की जीवन रेखा हैगंगा भारतीय संस्कृति की जीवन रेखा है

आज गंगा दशहरा है। गंगा को केवल एक नदी के रूप में देखना उचित नहीं होगा। गंगा भारतीय संस्कृति की जीवन रेखा है तथा आध्यात्मिकता और श्रद्धा की वाहक है। हमारे देश में यह माना जाता है कि देश की सभी नदियों में गंगा का तत्व है। अनेक श्रद्धालु भारत से गंगाजल लेते हैं और विदेशी नदियों में इसे प्रवाहित करते हैं। इस तरह वे उन नदियों को अपनी श्रद्धा से जोड़ते हैं। गंगा विश्व के प्रत्येक कोने में रहने वाले भारतीय को अपनी मातृभूमि तथा अपने देश की संस्कृति और परंपरा से जोड़ती है। इसलिए गंगा भारत की जनता की पहचान है।

भारत में किसी स्थान पर अपनी परंपरा से आस्था रखने वाला कोई भी व्यक्ति जब स्नान करने जाता है तो उसके मुख से अनायास ही फूट पड़ता है- गंगे च यमुने चैव गोदावरी च सरस्वती, नर्मदे, सिंधु, कावेरी जलेस्मिन सन्निधिं कुरु।

हर एक व्यक्ति भारतीय नदियों एवं परिदृश्यों से रागात्मक लगाव रखता है। भारत को एक स्रोत में बांधने का श्रेय गंगा नदी को जाता है। गंगा के तट पर भारतीय सभ्यता का जन्म हुआ, जिसके किनारे भारतीय परंपरा का विकास हुआ। गंगा भारत की सांस्कृतिक पहचान है, गंगा भारत की धार्मिक आत्मा है। सदियों से हिन्दू धर्म का कोई धार्मिक संस्कार बगैर गंगा जल के संपन्न नहीं होता है। गंगा की जलधारा भारतीय धर्म का दर्शन है।

प्राचीन काल से ही नदियाँ माँ की तरह हमारा भरण-पोषण करती आ रही हैं। नदियों की वजह से सभ्यताएँ पनपती हैं, बस्तियाँ बसती हैं हमारे ऋषि-मुनि नदियों के किनारे एकांत में बैठकर वर्षों तक तपस्या करते थे। प्रसिद्ध नदी सूक्त में सर्वप्रथम गंगा का ही आह्वान किया गया है। ऋवेद में ‘गंगय’ शब्द आया है महाभारत एवं पुराणों में गंगा की महत्ता एवं पवित्रीकरण के विषय में सैकड़ों प्रशस्तिजनक श्लोक हैं। गीता में श्री कृष्ण ने कहा है-

स्रोतसास्मि जाह्नवी
वेदों एवं पुराणों में गंगा को बारंबार तीर्थमयी कहा गया है। सर्वतीर्थमयी गंगा सर्वदेवमया हरिः (नृसिंह पुराण) भारत की अनेक धार्मिक अवधारणाओं में गंगा नदी को देवी के रूप में निरूपित किया गया है। अनेक पवित्र तीर्थस्थल गंगा नदी के किनारे पर बसे हुए हैं। अनेक पर्वों और उत्सवों का गंगा से सीधा संबंध है।

इस नदी के बारे में कहा गया है, गंगा तो लोकतांत्रिक भारत की नदी है, जनता की प्रिय है, जिसकी झलक भारत की जातीय स्मृतियां, उसकी आशाएं और उसका भय, उसके विजयगान, उसकी विजय और पराजय है। इसके तटों पर अनेक प्रसिद्ध मेलों का आयोजन किया जाता है। अनेक प्रसिद्ध मंदिर गंगा के तट पर ही बने हुए हैं। ये तीर्थ स्थल सम्पूर्ण भारत में सांस्कृतिक एकता स्थापित करते हैं। गंगा को लक्ष्य करके अनेक भक्ति ग्रंथ लिखे गए हैं।

गंगाजल के बारे में प्रचलित मान्यताएँ व तथ्य तो यहाँ तक कहते हैं कि यदि मृत्युशैय्या पर पड़े व्यक्ति के मुख में गंगाजल डाल दिया जाए तो वह भी बंधनों से मुक्त हो जाता है। गंगा जी के प्रति हमारी श्रद्धा और आस्था अकारण नहीं है। इसका वैज्ञानिक आधार भी है। अनेक देशी और विदेशी शोधकर्ताओं ने परीक्षण से सिद्ध किया है कि गंगाजल में ऐसे बहुत से औषधीय गुण हैं, जो विविध शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति दिलाते हैं। इसके पान, स्नान और स्पर्श से नव प्राणशक्ति का संचार होता है। पुरानी मान्यता है कि वृद्धावस्था में जब शरीर जर्जर और व्याधिग्रस्त हो जाए तो केवल गंगाजल ही इसका उपचार है।

शरीर जर्जरीभूते व्याधिग्रस्त कलेवर औषधि जाह्नवी तायं वैद्यो नारायणोहरि।

वैज्ञानिक कहते हैं कि गंगा के पानी में बैक्टीरिया को खाने वाले बैक्टीरियोफाज होते हैं, जो बैक्टीरिया की संख्या बढ़ते ही सक्रिय हो जाते हैं।

पश्चिमी प्रकृति ने भी गंगा के जल की इस अद्भुत विशेषता को सिद्ध किया है। डॉ. एफ.सी. हरिसन के अनुसार गंगा जल में एक विशिष्ट गुण है, जिसका सन्तोषजनक वर्णन कठिन है। इसमें हैजे के जीवाणु की तीन से पांच घंटे में मृत्यु हो जाती है। जबकि कई नदियों में यही जीवाणु तेजी से फैलते हैं।

यह नदी उन खेतों के लिए पोषक तत्त्व भी प्रदान करती है, जिनसे यह गुज़रती है। गंगा की सहायक नदियाँ 300 मिलियन से अधिक लोगों के लिए जीवनदायिनी हैं। गंगाजल को हर भारतीय अमृत तुल्य मानकर उसका पान करता है। अपने पूर्ण जीवन काल के अंतिम समय में हर भारतीय के प्राण गंगा की सिर्फ एक बूँद के लिए तरसते हैं। यहीं विशेषता गंगा को संसार की हर नदी से पृथक बनाती है और मुक्ति का यही विश्वास गंगा को एक सामान्य नदी के बजाय देवी के रूप में प्रतिष्ठित करता है।

गंगे, गंगेति यो भ्रुयान योजनान्म शनैरपि।

सर्वपाप विनिमुक्तो विष्णुलोकम स गछति॥

भारत में रहने वाला लगभग हर व्यक्ति प्रयाग, काशी, हरिद्वार, बद्रीनाथ आदि तीर्थ स्थानों में जाकर स्नान करने के लिए तड़पता है। हर व्यक्ति गंगा दर्शन और गंगा स्नान को अपने जीवन का लक्ष्य मानता है।

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