तिरंगे के रंग त्याग, पवित्रता, समृद्धि के प्रतीक हैं – डॉ. भागवत
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने आज संघ कार्यालय, कर्णावती में ध्वज वंदन करके गणतंत्र दिवस मनाया। उन्होंने कहा कि हम जब “जन गण मन” गाते हैं तब ध्यान में आता है कि भारत भाग्य विधाता को नमन करके हम अपने देश का स्मरण करते हैं। देश की भूमि, उसकी सीमाएं, पहाड़, नदियां, जन, जंगल, पशु, पुत्र, पर्यावरण, भूमि यह सभी हमारी आंखों के सामने आते हैं। भारतीय लोग आस्तिक बुद्धि के लोग हैं। अपनी श्रद्धा को सुरक्षित रख कर देश के लिए प्रार्थना करते हैं, उस प्रार्थना में भारत माता के स्वरूप का वैचारिक दृष्टि से दर्शन करके और भारत माता के पूजन के समय उनके अखंड स्वरूप का चिंतन करते हैं। हम कहते हैं “तव शुभ नामे जागे” जिसमें जागृति का प्रत्यक्ष स्वरूप संविधान सम्मत तिरंगा ध्वज है
तिरंगे के रंग त्याग, पवित्रता, समृद्धि के प्रतीक हैं। सब को स्वीकारना, संयम पूर्वक जीवन जीना और सतत कर्म करते हुए सर्वत्र मंगल करना यही अपने देश का प्रयोजन है। भाषण से नहीं खुद के जीवन से लोगों का मार्गदर्शन करना चाहिए। मन की समृद्धि की आराधना करने वाले शुद्ध चरित्र वाले लोग जब सतत प्रयास करेंगे तब शुभ नाम से भारत जागेगा।
यह अपना गणतंत्र है, जिसे चलाने वाले हम ही हैं। हमारे संविधान में नागरिक अधिकार के साथ नागरिक दायित्व की भी बात कही है। संविधान पढ़ते ही देश को किस दिशा में आगे ले जाना है वह पता चलता है, इसीलिए उसे अवश्य पढ़ना चाहिए।
हर साल ध्वज वंदन होता है, लेकिन उसके पीछे का भाव, उद्देश्य बना रहना चाहिए। और कार्य करते रहना चाहिए, यही आज के दिन का पाथेय है