जैविक कृषि से बढ़ेगी किसानों की आय- अजित केलकर

जैविक कृषि से बढ़ेगी किसानों की आय- अजित केलकर
• गो आधारित जैविक कृषि प्रशिक्षण में किसानों ने दिखाई रुचि
• 4 हजार किसानों ने लिया भाग
सरोदा, 14 अप्रैल। वागड़ की सबसे बड़ी श्री राधाकृष्ण गोशाला वमासा के नवीन परिसर में गो सेवा, ग्राम विकास, पर्यावरण गतिविधि एवं भारतीय किसान संघ के संयुक्त तत्वावधान में किसान सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसमें हजारों की संख्या में किसान सम्मिलित हुए और उन्होंने जैविक कृषि प्रशिक्षण अभ्यास वर्ग में भाग लिया। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम बंसी गीर गोशाला अहमदाबाद के संस्थापक गोपाल भाई सुतरिया, भारत सरकार के जीव जंतु कल्याण बोर्ड के सदस्य व जैविक खेती के प्रचारक अजित शरद केलकर तथा राजेंद्र पामेचा के मुख्यातिथ्य में सम्पन्न हुआ।
भूमि सुपोषण अभियान के अंतर्गत भूमि पूजन के पश्चात प्रशिक्षण सत्र का शुभारंभ हुआ, जिसमें अजीत शरद केलकर ने किसानों को गो आधारित जैविक कृषि की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि गो आधारित जैविक कृषि वर्तमान में कृषि की प्राथमिक आवश्यकता है। स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं तथा हानिकारक रासायनिक पदार्थों के बढ़ते उपयोग को रोकने के लिए हमें जैविक खेती की ओर उन्मुख होना होगा। इससे स्वास्थ्य लाभ एवं दीर्घायु जीवन के साथ साथ किसानों की आय के अवसर भी बढ़ेंगे। केलकर ने भूमि के संपूर्ण पोषक तत्वों का समावेश गो माता के पौष्टिक खाद में होने के प्रमाण सहित उदाहरण प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि हर-घर में देशी गोवंश से डीएपी खाद बनाकर प्रतिवर्ष खेतों में उपयोग में लेना चाहिए। 101 किलो गोबर, 10 लीटर गोमूत्र और 500 ग्राम गुड़ को पात्र में भर कर पेड़ के नीचे छाया में रखने से यह खाद तैयार की जा सकती है। गोबर के कण्डों से तैयार खाद को भी फसल में डाला जा सकता है। देशी छाछ का उपयोग किसी भी फसल में करने से उत्पादन बढ़ता है। तांबे के लोटे में भरी हुई छाछ कीटनाशक का भी काम करती है। नीम, आकड़ा, करंज, धतूरा, महुआ फूल, गोमूत्र आदि का उपयोग भी कीटनाशक के तौर पर किया जाता है।
गोपाल भाई सुतारिया ने गोशाला की बनावट के साथ ही देशी गाय की खाद व गो कृपा अमृतम् के आधार पर खेती करने के लाभ बताते हुए उसके उपयोग व कार्य विधि को समझाया। उन्होंने कहा कि इसके उपयोग से उत्पादन और आमदनी तो बढ़ती ही है, फसल के पौष्टिक तत्वों में भी बढ़ोतरी होती है। गोपाल भाई ने बैल रखने वाले किसानों को राजस्थान सरकार द्वारा प्रोत्साहन राशि देने की घोषणा पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इस घोषणा से किसान के घर बैल बंधेंगे। कृषि कार्य में बैलों का महत्वपूर्ण योगदान है। सुतारिया ने सम्मेलन में उपस्थित हजारों किसानों को गो आधारित जैविक कृषि का संकल्प करवाया और कहा कि गो पालन व सेवा गर्व का विषय है। अतः अपने घर में गो पालन अवश्य करें। इससे घर में गो गव्य प्राप्त होंगे एवं भूमि उपजाऊ बनेगी।
इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र गोसेवा संयोजक राजेंद्र पामेचा ने गोसेवा ग्राम विकास की गतिविधि पर प्रकाश डालते हुए पंच प्राण के विचार की विस्तार से व्याख्या की।
किसानों व उपस्थित अतिथियों ने गो पूजन किया। किसानों को बड़ी स्क्रीन के माध्यम से जैविक खेती में आने वाली समस्याओं, उपचार, जैविक कल्चर तथा गोकृपा अमृत तैयार करने का प्रशिक्षण दिया गया।
कार्यक्रम का संचालन सह प्रांत ग्रामविकास संयोजक गणेशलाल पाटीदार भेमई ने किया।
कार्यक्रम में उपस्थित किसानों को पत्तों से बनाये गये दोने पत्तलों में भोजन परोसा गया। विरेन्द्र सिंह पंवार ने इस कार्यक्रम को सफल बनाने में लगे सभी गोशाला परिवार के सदस्यों व सर्व समाज के पंचों का आभार व्यक्त किया, साथ ही उन्होंने कहा कि वागड़ प्राकृतिक रूप से समृद्ध है एवं गो आधारित जैविक कृषि के अनुकूल भी है। बस आवश्यकता है घर घर गो पालन की। किसान व गो माता एक दूसरे के पूरक हैं। गोपालन से किसान को गोमूत्र एवं गोबर प्राप्त होंगे, जिससे वह अमृत तुल्य जैविक अन्न प्राप्त कर सकेगा, साथ ही कोई भी गोमाता अनाथ एवं बेसहारा नहीं रहेगी।
इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग प्रचारक विकासराज समेत बड़ी संख्या में किसान उपस्थित रहे।
कार्यक्रम स्थल पर जैविक उत्पाद, गो उत्पाद, गो आधारित कृषि हेतु सरकारी योजनाओं आदि से संबंधित स्टॉल आदि लगाए गए थे।