ऐतिहासिक रोमन एक्वाडक्ट पर इमानुअल मिशन स्कूल का अतिक्रमण
ऐतिहासिक रोमन एक्वाडक्ट पर इमानुअल मिशन स्कूल का अतिक्रमण
झालावाड़। सरकारी लापरवाही और भ्रष्टाचार के चलते अतिक्रमणकारियों के हौंसले बुलंद हैं। अनेक नदी, नालों और बांधों की तरह ही झालावाड़ का ऐतिहासिक व प्राचीन रोमन एक्वाडक्ट, जिसे पानी के धोरे भी कहा जाता है, अतिक्रमण की चपेट में है। पिछले लगभग 4 वर्षों से यहॉं के इमानुएल मिशन स्कूल ने गावड़ी के तालाब से निकलने वाले इस एक्वाडक्ट पर बड़ा अतिक्रमण कर रखा है। बार बार शिकायतों के बाद भी 4 वर्षों में इस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है।
झालावाड़ का रोमन एक्वाडक्ट (पानी के धोरे)
झालावाड़ के रेलवे स्टेशन रोड पर स्थित प्राचीन तालाब से निकलकर मामा भांजा चौराहे के समीप पहुंचने वाला यह प्राचीन रोमन एक्वाडक्ट अपने आप में पूरे राजस्थान में एक अनूठा है, जो केवल झालावाड़ में स्थित है। गावड़ी तालाब से राज परिवार के महलों एवं अन्य स्थानों तक पानी ले जाने के लिए रोमन पद्धति से इसका निर्माण किया गया था।
क्या है मामला
झालावाड़ के इमानुएल मिशन स्कूल प्रबंधन ने धोरे की दीवार पर कब्जा करते हुए उसी पर स्कूल की दीवार बना ली और लगभग 150 फीट से अधिक धोरे पर अतिक्रमण करते हुए अवैध तरीके से 17 फुट चौड़ा एक रास्ता भी बना लिया। विद्यालय पर कई बार कार्यवाही की मांग उठती आई है। परंतु अभी तक कोई परिणाम नहीं निकला। स्कूल के अतिरिक्त 5 रिहायशी मकानों ने भी धोरे को क्षतिग्रस्त कर इधर से ही अपना रास्ता बना लिया है।
झालावाड़ नगर परिषद के अतिक्रमण दस्ता प्रभारी संदीप ने कहा कि नगर परिषद ने किसी भी प्रकार के निर्माण की स्वीकृति या रास्ते की अनुमति नहीं दे रखी है। इस प्रकार के अतिक्रमण पर नियमानुसार कार्रवाई की जायेगी।
कानूनी कार्यवाई
जानकारी के अनुसार अतिक्रमणकारियों को हटाने के लिए कार्यवाही करते हुए तत्कालीन जिला कलक्टर हरिमोहन मीणा ने अगस्त 2021 में मामले की फाइल और संपूर्ण रिपोर्ट मंगवाई, 4 महीने बाद भी वह फाइल जिला कलेक्टर के पास नहीं पहुंच पाई और उनका स्थानांतरण हो गया। जिसके चलते अतिक्रमणकारियों पर होने वाली कार्यवाही आगे नहीं बढ़ पाई है।
पूर्व में किए गए प्रशासनिक प्रयास
वर्ष 2019 में तत्कालीन जिला कलक्टर सिद्धार्थ सिहाग द्वारा एक कमेटी बना कर अतिक्रमणों को चिन्हित करवाया गया था और उनको हटाने के आदेश दिए गए थे। किंतु सरकारी लापरवाही के कारण, अतिक्रमण आज भी जैसे का तैसा ही है।
अतिक्रमणकारी रोमन एक्वाडक्ट पर जिस तरह से धीरे धीरे अपना कब्जा बढ़ा रहे हैं, उससे तो धोरे के अस्तित्व पर ही संकट है। सरकारी लापरवाही उन्हें ऐसा करने का अवसर प्रदान कर रही है।
नगर परिषद ने नहीं दी किसी प्रकार के निर्माण की स्वीकृति
नगर परिषद द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार धोरे की भूमि पर किसी भी प्रकार के निर्माण या रास्ता निकालने की स्वीकृति जारी नहीं की गई है। नगर परिषद के अधिकारियों का कहना है कि वहां पर नियमानुसार किसी भी प्रकार की स्वीकृति जारी की भी नहीं जा सकती।