डूंगरपुर : बेटियों ने बढ़ाया मान, विद्यालय के लिए दान की जमीन
डूंगरपुर : बेटियों ने बढ़ाया मान, विद्यालय के लिए दान की जमीन
राजस्थान के डूंगरपुर जिले के रास्तापाल गांव में गुरु को बचाने के लिए प्राणों की आहुति देने वाली जनजातीय बालिका कालीबाई के बलिदान की गौरव गाथा अमर है। इसी डूंगरपुर जिले की बेटियों ने एक बार फिर पूरे जिले, राज्य व समाज का मान बढ़ाया है। यहॉं की पांच बेटियों ने शिक्षा के महत्व को समझते हुए शिक्षा के मंदिर अर्थात विद्यालय के लिए अपनी भूमि दान में देकर समाज के लिए आदर्श प्रस्तुत किया है, जो अनुकरणीय है।
यह प्रकरण डूंगरपुर के एक गांव उंदरड़ा का है, जहां नवक्रमोन्नत राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के लिए पर्याप्त भूमि उपलब्ध नहीं थी, जो विद्यालय निर्माण में अवरोध का कारण बनी हुई थी। इसके लिए ग्रामीण भी निरंतर प्रयास कर रहे थे ताकि गांव के बच्चों की शिक्षा संबंधी सभी आवश्यकताएं पूर्ण हो सकें तथा गांव के सभी बच्चे वहीं रहकर उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकें। परंतु भूमि आवंटित नहीं हो पा रही थी। गांव के सरपंच व ग्रामीणों सहित सभी लोग इसके लिए प्रयासरत थे।
इसी क्रम में “अपना गांव अपना विकास” संस्थान के सदस्यों व गांव के सरपंच दिनेश चंद्र रोत, उपसरपंच गणेश लाल रोत व अन्य ग्रामीणों ने मिलकर गांव के ही गोविंद राम कटारा की बेटियों उर्मिला परमार, बसंती नानोमा, शिला परमार, सरस्वती परमार व आशा घोघरा से संपर्क किया, उन्हें विद्यालय के लिए भूमि संबंधित समस्या बताई। तब ये पांचों बहनें अपनी 2 बीघा भूमि दान देने को राजी हो गईं और राजकीय विद्यालय के नाम तहसील कार्यालय में उपस्थित होकर हस्ताक्षर कर के भूमि विद्यालय के नाम दान कर दी। इन पांचों बेटियों की इच्छा है कि सरकार विद्यालय का नाम उनके पिता के नाम पर “गोविंदराम कटारा राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय” रखे।
यह देश व समाज के लिए बेटियों द्वारा की गई आदर्श पहल है, जो समाज के लिए उदाहरण है।