तब्लीगी जमात पर भारत में भी लगे पूर्ण प्रतिबन्ध – आलोक कुमार
नई दिल्ली। तब्लीगी जमात व उसके निजामुद्दीन मरकज की करतूतों के कारण भारत ही नहीं अपितु, सम्पूर्ण विश्व आज गम्भीर संकट में है। विश्व हिन्दू परिषद ने इसे इस्लामिक कट्टरपंथ की फैक्ट्री व वैश्विक आतंकवाद का पोषक बताते हुए भारत में भी पूर्ण प्रतिबन्ध लगाने की मांग की है। विहिप के केन्द्रीय कार्याध्यक्ष व वरिष्ठ अधिवक्ता आलोक कुमार ने सऊदी सरकार द्वारा लगए गए प्रतिबंध का स्वागत करते हुए कहा कि लोगों का जीवन संकट में डालने वाले तब्लीगी जमात के आर्थिक स्रोतों का पता लगाकर उसके बैंक खातों, कार्यालयों व कार्यकलापों पर भारत सहित सम्पूर्ण विश्व समुदाय द्वारा अविलम्ब प्रतिबंध लगाया जाए। यह इस्लामिक कट्टरवादी संगठन रूस सहित विश्व के अनेक देशों में पहले से ही प्रतिबंधित है। इसके बावजूद, सऊदी सरकार के निर्णय के स्वागत करने की जगह कुछ भारतीय मुस्लिम संस्थाओं द्वारा इसके विरोध करके आतंक-पोषण में अपनी भूमिका स्वयं स्पष्ट कर दी है। वास्तव में दारुल उलूम देवबंद ही तो उसका जन्मदाता है।
निजामुद्दीन से प्रारंभ तब्लीग, हरियाणा के मेवात में धर्मांतरण की सफलता से उत्साहित होकर आज विश्व के 100 से अधिक देशों में करोड़ों लोगों को अपनी कुत्सित मानसिकता से संक्रमित कर उनका जीवन संकट में डाल चुकी है। देश की अनेक मस्जिदों व मदरसों व जिहादियों की बस्तियों में बरामद गोले-बारूद व पकड़े गए आतंकी, कहीं ना कहीं इसी मानसिकता के थे। कौन नहीं जानता कि निजामुद्दीन मुख्यालय से प्रशिक्षित होकर लाखों तब्लीगी वहाबी विचार के साथ संपूर्ण विश्व में मरकज, इज्तेमा, मस्जिदों व मदरसों में तकरीरों के माध्यम से कट्टरता व आतंक फैला रहे हैं। विश्व के अधिकांश आतंकी संगठनों को प्रारंभ करने वाले भी तब्लीग से जुड़े रहे हैं। अमेरिकी ट्रेड सेंटर के हत्यारों से लेकर गोधरा में 59 हिन्दुओं को जिंदा जलाने तथा स्वामी श्रद्धानंद के नृशंस हत्यारे धर्मांध मुस्लिम युवक अब्दुल रसीद का उर्स मनाने वालों के मरकज से सम्बन्ध जग-जाहिर हैं।
विहिप की मांग है कि ;
भारत में तब्लीगियों, तब्लीगी जमात और इज्तेमा पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए।
निजामुद्दीन मरकज के भवन और इससे जुड़े बैंक खातों को अविलंब सील किया जाए।
इनके आर्थिक स्रोतों का पता लगाकर इन को बंद कर देना चाहिए।
इसको प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से खाद-पानी देने वाली दारुल उलूम देवबंद व पीएफआई जैसी संस्थाओं पर भी नकेल कसी जाए।