तूफान : यह लव जिहाद ही है (फिल्म समीक्षा)
डॉ. अरुण सिंह
16 जुलाई को अमेजन प्राइम पर प्रदर्शित हुई फिल्म तूफान में कथानक के नाम पर कुछ नहीं है। उद्देश्य है : लव जिहाद के विमर्श को प्रतिस्थापित करना; देश में लव जिहाद की जितनी भी त्रासदियां हुई हैं, उनको झुठला देना। एक गली के अनाथ मुस्लिम टपोरी से एक हिन्दू लड़की, जो डॉक्टर है, को प्रेम हो जाना निहायत ही असामान्य प्रतीत होता है। यह दौर 80 के दशक की काल्पनिक फिल्मों का नहीं है जिनमें मिथ्या हिन्दू – मुस्लिम प्रेम भर – भर कर दिखाया जाता था। प्रेम की भावना स्वाभाविक है, परन्तु लव जिहाद का मुद्दा इस से सर्वथा भिन्न है। एक काल्पनिक प्रेम कहानी गढ़ कर उसे हिन्दू – मुस्लिम प्रेम के सांचे में ढालना, यह एक गूढ़ मंतव्य के अंतर्गत किया जाता है।
मुस्लिम लड़के और हिन्दू लड़की की प्रणय कथा के माध्यम से इसे राजनीतिक रंग देने का प्रयत्न है। वस्तुत: यह फिल्म यह दिखाने का प्रयास है कि लव जिहाद वास्तव में कोई मुद्दा ही नहीं है; मुस्लिम लड़के हिन्दू लड़कियों को प्रेम – पाश में फांसकर जो शोषण करते हैं, वह सब मिथ्या है। फिल्म तूफान यह सिद्ध करने का कुत्सित प्रयास है कि लव जिहाद का मुद्दा खोखला है, इसमें कोई सत्यता नहीं है।
अनन्या, अजीज अली से कोर्ट में विवाह करती है और मुस्लिम बस्ती में अजीज अनन्या का कन्वर्जन नहीं होने देता : यह यथार्थ नहीं है। इस्लाम में यह स्वीकार्य नहीं है। असल जीवन में किसी अन्य धर्म की स्त्री को मुस्लिम पुरुष से विवाह के पश्चात इस्लाम “कुबूल” करना ही पड़ता है। यह मजहबी फरमान है। और कोई मुस्लिम पुरुष इस्लाम को न माने, यह अत्यंत दुर्लभ है।
सिनेमा की झूठी कहानी के द्वारा वास्तविकता पर पर्दा नहीं डाला जा सकता है। विश्व में मुस्लिम जनसंख्या हिंसा और कन्वर्जन से ही पल्लवित हुई है, यह ऐतिहासिक कटु सत्य कैसे नकारा जा सकता है?
विवाह के अवसर पर मुस्लिम बस्ती के लोग वहां अधिक उपस्थित होते हैं। यह उनके लिए “फतह” का मौक़ा है, क्योंकि कुनबे में बढ़ोतरी हुई है। एक पारंपरिक हिन्दू पिता जो बॉक्सिंग के खेल में रहकर अपनी बेटी को बड़ा करता है और उसे डॉक्टर बनाता है। वह बेटी इतनी मूर्खता कैसे कर सकती है? और यदि मान लें कि वह फंस भी जाए, परन्तु उसकी मृत्यु के पश्चात उसका पिता (नारायण प्रभु) सब कुछ भूलकर बेटी के परिवार को स्वीकार कर ले और मुस्लिम समुदाय यह होने दे, यह बिल्कुल भी नहीं पचता। अजीज अली के अतिरिक्त जो हिन्दू बॉक्सर हैं, वे धोखेबाज और बेईमान हैं। जिस यतीमखाने के बच्चों की सहायता अजीज करता रहता है, वह मुस्लिम अनाथालय है। वहां हिन्दू बच्चे नहीं हैं। अनन्या की बेटी को जिस तरह मंदिर में भजन गाते हुए दिखाया गया है, वह फिल्मी ढकोसला है। यह फैशन बॉलीवुड में दशकों से चला आ रहा है।