वैदिक काल से आज तक के समाज जीवन के आदर्शों से प्रेरणा लें- मीनाक्षी ताई पेशवे

वैदिक काल से आज तक के समाज जीवन के आदर्शों से प्रेरणा लें- मीनाक्षी ताई पेशवे

तेजस्विनी महिला सम्मेलन

वैदिक काल से आज तक के समाज जीवन के आदर्शों से प्रेरणा लें- मीनाक्षी ताई पेशवेवैदिक काल से आज तक के समाज जीवन के आदर्शों से प्रेरणा लें- मीनाक्षी ताई पेशवे

सर्व समाज जागृत महिला संस्थान राजसमंद द्वारा रविवार को “तेजस्विनी” महिला सम्मेलन का आयोजन हुआ। तीन चरणों में सम्पन्न सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि साध्वी ऋतंभरा की शिष्या सुह्रदया गिरी, अखिल भारतीय महिला समन्वय संयोजिका एवं अखिल भारतीय मातृशक्ति महामंत्री मीनाक्षी ताई पेशवे, विभाग संयोजिका मधु चौरडिया, चित्तौड़ प्रांत संयोजिका व उदयपुर महानगर की पूर्व मेयर श्रीमती रजनी डांगी मंचासीन थीं। कार्यक्रम के प्रारंभ में सोनम गुप्ता द्वारा एकल गीत व श्री जैन द्वारा सामूहिक गान किया गया। तत्पश्चात मधु चोरडिया ने सभी आगंतुकों व मंचासीन अतिथियों का परिचय दिया।

साध्वी सुह्रदया गिरी ने कहा कि “नारी सशक्त है तो समाज सशक्त है।” उन्होंने पौराणिक इतिहास के प्रेरणास्पद उदाहरण प्रस्तुत किये। मुख्य वक्ता मीनाक्षी ताई ने वैदिक युग से आज तक की नारी का उदाहरण देते हुए उनके समाज जीवन में किए गए समर्पण को अपने आदर्श जीवन में उतारने का आह्वान किया। इस दौरान मंचासीन अतिथियों ने चित्र भारती द्वारा 23 24 व 25 फरवरी को पंचकूला में आयोजित किये जा रहे पांचवें फिल्म फेस्टिवल कार्यक्रम के पोस्टर का विमोचन किया। संयोजन रितु धोका द्वारा किया गया।

दूसरा चरण चर्चा सत्र के रूप में था। जिसमें महिला सुरक्षा, शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य, ग्रामीण व जनजाति क्षेत्र की समस्या, सामाजिक समस्या, प्रचार प्रसार में अश्लीलता और निर्णय प्रक्रिया में सहभागिता आदि विषयों पर चर्चा की गई। इस सत्र का संयोजन रचना तेलंग द्वारा किया गया। तत्पश्चात एक शिक्षाप्रद नाटक प्रस्तुत किया गया।

भोजन के पश्चात तृतीय सत्र प्रारंभ हुआ। प्रारंभ में ज्योत्सना पोखरना द्वारा एकल गीत प्रस्तुत किया गया। मुख्य अतिथि साध्वी श्री आई मां कंकू केसर मां व मुख्य वक्ता जोधपुर प्रांत की समन्वय संयोजिका पुष्पा जांगिड़ थीं। साध्वी श्री जी ने विभिन्न जातियों में बंट रहे समग्र हिन्दू समाज को संगठित रहने की प्रेरणा दी। तत्पश्चात मुख्य वक्ता पुष्पा जांगिड़ ने देश के विकास में महिलाओं की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत में शुरू से ही नारियों को पूजनीय माना गया है, बीच के कालखंड में हमारे उस दर्जे में कुछ कमी आई। लेकिन हमें पुनः उसे स्तर पर पहुंचाना है। संयोजन मधु चोरड़िया द्वारा किया गया।

कार्यक्रम में वीरांगनाओं की प्रदर्शनी व स्वदेशी उत्पादों की स्टॉल भी लगाई गई। महिलाओं के लिए सेल्फी प्वाइंट भी था। अंत में रीटा पालीवाल ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में कांकरोली, राजनगर, रेलमगरा, कुरज, कुंवारिया, आमेट, देवगढ़, केलवा, नाथद्वारा, खमनोर, मावली, फतहनगर, भिंडर व कानोड की लगभग 1800 महिलाओं ने भाग लिया।

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