दादा इदाते आयोग की रिपोर्ट लागू करे सरकार
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डा. मोहन भागवत को संघ द्वारा घुमन्तू समुदाय के लिए किये गये सेवा कार्यों पर प्रकाशित पुस्तक सेवा पथ भेंट दी गयी। स्मारिका देते समय घुमंतू कार्य देखने वाले महेंद्र सिंह को उन्होंने कहा दादा इदाते आयोग की रिपोर्ट सरकार लागू करती है तो यह समस्त भारत के घुमंतू समाज के हित में होगा। इस रिपोर्ट के बारे में घुमंतू समाज को जानकारी देकर लागू करवाने का प्रयास करना चाहिए
‘रोज कमाओ—रोज खाओ’ से भी बदतर दशा वाले घुमन्तू समुदाय में शामिल सांसी, कंजर, कालबेलिया, सपेरे, गाडिया लुहार, भोपा आदि सैकड़ों जातियों के सामने लॉकडाउन काल में भोजन तथा जीवन निर्वाह का संकट गहरा गया था। संघ ने उनके लिए भोजन पैकेट्स, राशन—किट, काढ़ा, मास्क, बच्चों के लिए दूध—बिस्किट की व्यवस्था करने के साथ ही उनके लिए स्वरोजगार हेतु भी सहयोग किया।
उल्लेखनीय है कि अगस्त अंत में घुमंतू विमुक्त दिवस पर जन जागरूकता के लिए संगोष्ठी का आयोजन किया गया था।
विमुक्त जनजातियां और दादा इदाते आयोग
ब्रिटिश हुकूमत ने कुछ कट्टर सशस्त्र विद्रोही समुदायों को क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट, 1871 के अंतर्गत जन्मजात अपराधी घोषित कर दिया था जिन्हें भारत सरकार ने स्वतंत्रता के 5 वर्ष बाद 31 अगस्त 1952 को ब्रिटिश हुकूमत के काले कानून क्रिमिनल ट्राईब्स एक्ट से मुक्त कर दिया था, अब वे विमुक्त जनजातियां कहलाती हैं। अंग्रेजों की प्रसारवादी नीतियों के विरुद्ध स्थानीय कृषक जातियों/जनजातियों ने अपने-अपने स्तर और क्षमता के अनुसार सशस्त्र विद्रोह किये थे।
जातिवार जनगणना 2011 के अनुसार भारत में विमुक्त एवं घुमंतू जनजाति की संख्या 15 करोड़ है। इन्हें विकास की मुख्यधारा में शामिल करने के लिए क्या उपाय किए जाएं, इसे लेकर भारत सरकार द्वारा कई कमेटियों व आयोगों का गठन किया जा चुका है। इनमें से एक दादा इदाते कमीशन भी है। इस कमीशन ने अपनी रिपोर्ट सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय को 8 जनवरी 2018 को सौंप दी थी। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार ने इदाते आयोग की बीस सूत्री सिफारिशों पर संबंधित 22 मंत्रालयों, आयोगों, डीएनटी विषय के विशेषज्ञों एवं समस्त राज्य सरकारों तथा नीति आयोग से उनकी राय मांगी है।