धनाणु
धनाणु नामक बीमारी सरकारी तंत्र में तेजी से फैल चुकी है और इस बीमारी ने पूरे सरकारी तंत्र को ही बीमार कर दिया है।
शुभम वैष्णव
आप सब ने जीवाणु, विषाणु, कवक आदि से फैलने वाले रोग और रोगी दोनों देखे हैं।परंतु समाज में एक और भयंकर रोग है जिसका नाम है धनाणु। कई लोग इस रोग से संक्रमित हो चुके हैं।
यह रुपए से फैलता है और आम आदमी इस रोग की चपेट में जल्दी से आ जाता है।
यह बीमारी सरकारी तंत्र में तेजी से फैल चुकी है और इस बीमारी ने पूरे सरकारी तंत्र को ही बीमार कर दिया है। इस रोग के लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं – अफसरों द्वारा बार-बार किसी भी काम के बदले रुपए मांगना या रुपए नहीं देने पर आम आदमी को परेशान करना या नेताओं द्वारा बड़े-बड़े घोटाले करना या अफसरों द्वारा अमीरों की चापलूसी करना। ये सब लक्षण किसी भी व्यक्ति में दिखें तो सावधान हो जाइए। क्योंकि आप भी इस रोग की गिरफ्त में आ सकते हैं।
इस रोग का निदान कानून के द्वारा ही किया जाता है। इस रोग से बचाव के लिए कानून का सहारा लें। यह रोग इन कारणों से फैल सकता है- व्यक्ति के मन में अधिक धन कमाने की इच्छा का होना या आम आदमी का अपना काम तुरंत करवाने के लिए अफसरों को रिश्वत देना या रुपए लेकर भ्रष्ट नेताओं को चुनाव में जिताना या फिर अपने वोट के बदले रुपये लेना या व्यक्ति का अधिक लालची हो जाना।
अब बात इस रोग से बचाव के उपायों की करते हैं। इस बीमारी से बचने के लिए आम आदमी को अपने भीतर रिश्वत नहीं देने का भाव पैदा करना होगा। रिश्वतखोरी से संक्रमित व्यक्ति की पहचान करके तुरंत कानून से उसका परीक्षण करवाना होगा। भ्रष्टाचार मुक्त देश बनाने का संकल्प लेना होगा। रिश्वत मांगने वाले का पुलिस थाने में इलाज करवाएं और अंत में ना खाऊंगा ना ही खाने दूंगा का प्रण लेना होगा।
यदि समाज को स्वस्थ रखना है तो भ्रष्टाचार मुक्त देश बनाने का संकल्प लेना होगा। हम चाहें तो इस भयंकर बीमारी की रोकथाम कर सकते हैं। सब कुछ हम पर ही निर्भर है।