नई ढाणी गॉंव, जहॉं कोई गाय नहीं है बेसहारा
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नई ढाणी गॉंव, जहॉं कोई गाय नहीं है बेसहारा
राजस्थान में जहॉं एक ओर आए दिन गोवंश की हत्या और गोतस्करी के मामले सामने आ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर गोवंश के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले भंवरलाल जैसे लोग भी हैं। जिन्होंने गोवंश के लिए न केवल अपना शहर छोड़ा बल्कि स्वयं की भूमि और व्यय पर बेसहारा गोवंश के लिए अपने गांव में एक केंद्र भी स्थापित किया। पाली में रहने वाले भंवरलाल चौधरी ने नई ढाणी गांव के बेसहारा गोवंश के लिए गो सेवा केन्द्र बनाया और हजारों बेसहारा गोवंश के लिए सहारा बन गए। आज उनके गॉंव में कोई गाय बेसहारा नहीं है।
बेसहारा गोवंश को देखकर केंद्र बनाने का विचार आया
भंवरलाल चौधरी बताते हैं कि गांव में भूखे-प्यासे गोवंश को देखकर वे बहुत परेशान हो जाते थे। वर्ष 2019 में उन्होंने कुछ करने की ठानी और पाली से सपत्नीक अपने गॉंव नई ढाणी आ गए। गांव में स्वयं की 5 हजार वर्ग फीट भूमि पर उन्होंने बेसहारा गोवंश के रहने के लिए गो सेवा केन्द्र बनाया। प्रारम्भ में वे अपनी पत्नी के साथ मिलकर बेसहारा गोवंश को शाम होते ही केन्द्र पर लाते थे। वहां उनको चारा-पानी देते और देखभाल करते थे। लेकिन कुछ समय बाद शाम होते ही गायें, नंदी, बछड़े स्वयं ही पहुंचने लगे। उन्होंने केंद्र पर इन के लिए चारे-पानी की व्यवस्था तो की ही, गर्मी से राहत के लिए पंखे भी लगवाए। इस सारी व्यवस्था में वे अब तक 16 लाख रुपए खर्च कर चुके हैं।
भंवरलाल चौधरी ने बताया कि वे गोवंश के लिए पहले सूखा चारा खरीदकर लाते थे। लेकिन अब ग्रामीण अपने खेतों का कुछ चारा केन्द्र पर पहुंचा देते हैं। वर्तमान में गोवंश के लिए प्रतिदिन लगभग 125 किलो चारा उपयोग हो रहा है।
गो भक्त भंवरलाल गो सेवा केन्द्र पर रहने वाली गायों के गोबर तक का उपयोग नहीं करते हैं। वे उसकी लागत चुकाने के बाद उसे खाद के रूप में काम में लेते हैं। यदि कोई बेसहारा गाय दूध देने लगती है तो उसका उपयोग भी राशि देकर ही करते हैं। वह कहते हैं, मेरे लिए ये गायें देवी हैं, मैं इनके गोबर, दूध आदि का उपयोग कैसे कर सकता हूं। इसकी जो भी राशि बनती है, वह स्वयं चुकाकर गायों की सेवा में लगा देता हूं।
इस प्रकार की पहल से हजारों गायों को आज अच्छा आवास और व्यवस्थाएं आसानी से उपलब्ध हो रहीं हैं। सच तो यह है कि भंवरलाल ने उन लोगों को आइना दिखाया है, जो वृद्ध, दूध न देने वाली गायों व नंदी को बोझ मानकर बेसहारा छोड़ देते हैं या बेच देते हैं और किसी भी हाल में वे कसाइयों के हाथ ही लगते हैं। भंवरलाल का कार्य समाज के लिए प्रेरक और अनुकरणीय है।