राम मंदिर के लिए निधि समर्पण में बच्चे भी पीछे नहीं
राम मंदिर के लिए निधि समर्पण अभियान अपने अंतिम चरण में है। भगवान राम का मंदिर भव्य बनना चाहिए, इस भावना से निधि समर्पित करने में बच्चे भी पीछे नहीं। वे भी अक्सर उसी सोच से प्रेरित होते हैं जो घर में अपने बड़ों में देखते हैं। मंदिर के लिए राशि इकट्ठी करते समय कार्यकर्ता तब भाव विभोर हो गए जब घर की छोटी बच्ची भी माता पिता का वार्तालाप सुन अपनी गुल्लक में से समर्पण हेतु राशि लेकर आ गई।
घटना सरदारशहर की है। कार्यकर्ता वार्ड नं 16 निवासी बजरंग पंवार के घर पहुंचे तो परिवार ने बड़े आवभगत से टोली का स्वागत किया। बजरंग पंवार ने अपने सामर्थ्य अनुसार 5100 रुपये की राशि का समर्पण किया। तभी उनकी पत्नी बोलीं, पुण्य तो व्यक्तिगत होता है। यह तो आपने अपना समर्पण किया है, मेरा समर्पण भी लिखवाओ। इस पर उन्होंने भी अलग से अपना समर्पण किया। उनकी बेटी अर्पिता यह सब देख रही थी, अचानक वह भी अपने कमरे में गई और अपनी गुल्लक से 200 रुपए की राशि पिताजी को सौंपती हुई बोली- मेरा समर्पण भी लिखवाइए। छोटी बालिका के इस आग्रह से टोली के सदस्य भाव विह्वल हो गए।
बाद में जब पड़ोस में रहने वाली छोटी दिव्यांग बालिका लक्ष्मी को इस विषय की जानकारी हुई तो उसके पिताजी भी इसी आग्रह से टोली के पास आए कि उनकी बेटी भी भगवान राम के मंदिर के निमित्त अपनी ओर से कुछ राशि समर्पित करना चाहती है तो उनके आग्रह पर टोली ने उस बच्ची का भी समर्पण स्वीकार कर उसके घर जाकर आभार प्रकट किया।