नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित बलूचिस्तान की एक्टीविस्ट डॉ. महरंग बलूच की गिरफ्तारी

नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित बलूचिस्तान की एक्टीविस्ट डॉ. महरंग बलूच की गिरफ्तारी

जितेन्द्र कुमार सैन

नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित बलूचिस्तान की एक्टीविस्ट डॉ. महरंग बलूच की गिरफ्तारीनोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित बलूचिस्तान की एक्टीविस्ट डॉ. महरंग बलूच की गिरफ्तारी

क्वेटा। बलूच यकजेहती समिति (BYC) की केंद्रीय संरक्षक एवं अंतराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉ. महरंग बलूच को शनिवार सुबह सरियाब रोड पर एक धरना प्रदर्शन के दौरान पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने गिरफ्तार कर लिया। डॉ. महरंग बलूच के परिवार का आरोप है कि महरंग को उनके वकील से भी नहीं मिलने दिया गया और ना ही उन्हें कोर्ट में प्रस्तुत किया गया है। परिवार दो दिन से जेल के बाहर दवा, कपड़े और खाना देने का प्रयास कर रहा है, लेकिन पाकिस्तान प्रशासन उन्हें रोक रहा है। पता चला है, डॉ. बलूच, उनकी बहन और दो अन्य कार्यकर्ताओं को क्वेटा के हुड्डा जेल में रखा गया है।

प्रदर्शन में शामिल प्रदर्शनकारियों के अनुसार “ये लोग शुक्रवार को क्वेटा में प्रदर्शन के दौरान पाकिस्तानी सुरक्षा बलों द्वारा मार दिए गए तीन बलूची युवकों के लिए न्याय की मांग कर रहे थे, साथ ही ज़बरन गायब किए गए BYC समिति के राष्ट्रीय सदस्य बेबर्ग बलूच, उनके भाई डॉ. हमाल और बोलन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. इलियास बलूच व बलूच कार्यकर्ता सईदा और अन्य की रिहाई की मांग कर रहे थे।

इस गोलीबारी में एक दर्जन से अधिक लोग घायल हुए थे, जिनमें बच्चे और महिलाएं भी शामिल थीं। बलूच यकजेहती समिति के कार्यकर्ताओं का दावा है कि प्रदर्शन शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा था। लेकिन पाकिस्तानी सेना ने निहत्थे लोगों पर आंसू गैस के गोले छोड़े, पानी की बौछारें कीं और बंदूकों का प्रयोग करके निर्दोष बलूच युवकों की हत्या कर दी।

अब दुनियाभर में डॉ. बलूच की रिहाई की मांग ज़ोर पकड़ रही है। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मंच और एमनेस्टी इंटरनेशनल जैसे संगठन पाकिस्तान से महरंग और उनके साथियों की जल्द रिहाई की मांग कर रहे हैं। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने रविवार को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि “बलूचिस्तान की स्थिति चिंताजनक है, पाकिस्तान सरकार मानवाधिकारों का सीधा उल्लंघन कर रही है। डॉ. महरंग बलूच महिला हैं, उनको अभी तक कोर्ट में पेश नहीं किया गया है। वो एक राजनीतिक कैदी हैं। उन्हें परिवार और वकील से मिलने नही दिया जा रहा है।” वहीं आगे कहा, “पाकिस्तान सरकार बलूच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को झूठे मामलों में फंसाना बंद करे। तीन बलूच युवकों की मौत के बाद हुई हिंसा के बाद मोबाइल नेटवर्क बंद करना दर्शाता है कि वहां की सूचना को पाक सेना रोक रही है।”

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार रक्षकों की विशेष दूत मैरी लॉलर ने गिरफ्तारियों पर चिंता व्यक्त करते हुए एक्स पर लिखा, “मैं इस खबर से बहुत चिंतित हूं कि बलूचिस्तान में कार्रवाई के बाद डॉ. महरंग बलूच और कई अन्य मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है।” उन्होंने पाकिस्तानी अधिकारियों से हिरासत में लिए गए लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया।

फ्रंट लाइन डिफेंडर ने कहा, “हमारा मानना है कि महरंग की गिरफ्तारी पाकिस्तान सरकार व सेना के द्वारा मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों को उजागर करने का प्रतिशोध है।”

पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग़ ने भी इसकी आलोचना की है और पाकिस्तानी सेना के कदम को आतंकी कदम बताया है।

पेन नॉर्वे ने डॉ. बलूच की तत्काल रिहाई और कानूनी परामर्श उपलब्ध कराने की मांग की है।

डॉ. बलूच पर आरोप

डॉ. बलूच के विरुद्ध हत्या और आतंकवाद के आरोप दर्ज हुए हैं।ये मामले क्वेटा में विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस गोलीबारी में तीन व्यक्तियों की मौत से संबंधित हैं।पुलिस ने बताया कि डॉ. बलूच के विरुद्ध सिविल लाइन, ब्रेवरी और सरियाब पुलिस थानों में तीन अलगअलग एफआईआर दर्ज की गई हैं। 22 मार्च को सरियाब पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई एफआईआर में आतंकवाद विरोधी अधिनियम (एटीए) की धारा 7 और 11-डब्ल्यू तथा पाकिस्तान दंड संहिता की 16 धाराएं शामिल हैं।

सूचीबद्ध आरोपों में आतंकवाद, हत्या, हत्या का प्रयास, हिंसा भड़काना, विद्रोह, जातीय घृणा और संपत्ति को हानि पहुंचाना शामिल है।

डॉ. महारंग बलूच कौन हैं?

डॉ. महरंग बलूच एक अंतराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त मानवाधिकार कार्यकर्ता और बलूच यकजेहती समिति की राष्ट्रीय संयोजक हैं।

इनका जन्म 1993 में एक बलूच परिवार में हुआ था, वह पेशे से एक MBBS डॉक्टर हैं। इनके पिता अब्दुल गफ्फार लेंगेव एक मानवाधिकार कार्यकर्ता थे। बताया जाता है कि जुलाई 2011 में पाकिस्तानी सेना और ख़ुफ़िया एजेंसी ISI ने अपहरण के बाद उनकी हत्या कर दी थी। इनके भाई को भी दिसंबर 2017 में पाकिस्तान सेना ने अगवा कर मार दिया था। तब से डॉ. बलूच भी अपने पिता के पद चिन्हों पर चलते हुए पीड़ितों और अपने परिवार के मानवाधिकारों व अधिकारों के लिए पाकिस्तान सरकार से न्याय की मांग करती आ रही हैं। महरंग बलूचिस्तान में राजनीतिक अपहरणों, न्यायेत्तर हत्याओं और मानवाधिकार उल्लंघनों के विरुद्ध अपनी आवाज़ बुलंद करने वाली एक संघर्षशील महिला हैं।

डॉ. महरंग बलूच चर्चा में तब आईं, जब इन्होंने बलूच लॉन्ग मार्च निकाला। उन्होंने 6 मार्च 2023 को ईरानी सीमा से लगे केच जिले से शुरू होकर इस्लामाबाद तक 1600 किलोमीटर की दूरी तय की। वे इस यात्रा में कलात, डेरा गाज़ी खान और डेरा इस्माईल खान जैसी जगह रुकीं। इस मार्च को स्थानीय बलूचिस्तानियों ने पूरा सहयोग दिया था। जब मार्च इस्लामाबाद पहुंचा तो पाकिस्तानी सरकार ने राजधानी में प्रवेश पर रोक लगा दी और नेशनल प्रेस क्लब जाने से भी रोक दिया।

इस बलूच लॉन्ग मार्च को दुनियाभर के मीडिया में स्थान मिला। सेना व सरकार की आलोचना व किरकिरी हुई थी।

बलूचिस्तान में वर्तमान हालात 

वर्तमान में पाकिस्तान के कब्जे वाले बलूचिस्तान में काफ़ी गुस्सा है। बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना की दमनकारी नीतियां सबके सामने उजागर हुई हैं। आज संयुक्त राष्ट्र संघ और अन्य अंतराष्ट्रीय समूहों सहित सभी देशों को अपनी आंखें बलूचिस्तान की ओर ले जाने की आवश्यकता है।

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