पंचतत्व में विलीन हुए राजेंद्र प्रसाद, मणिपुर में आतंकी हमले में हुए थे वीरगति को प्राप्त
- पंचतत्व में विलीन हुए राजेंद्र प्रसाद
- मणिपुर में आतंकी हमले में हुए थे वीरगति को प्राप्त
- गम व गुस्से के बीच नम आंखों से अंतिम विदाई देते हुए छलकीं लोगों की आंखें
दौसा, 16 नवंबर। मणिपुर में आतंकी हमले में 13 नवंबर को वीरगति को प्राप्त हुए दौसा जिले के वीर सपूत राजेंद्र प्रसाद मीणा का पार्थिव शरीर सोमवार को उनके पैतृक गांव दिलावरपुरा पहुंचा। बलिदानी का पार्थिव शरीर पहुंचते ही परिवार में कोहराम मच गया। मां और पत्नी तो बार-बार अचेत हो जा रही थीं और होश में आते ही फिर से रोने लगतीं। पिता शंभूदयाल मीणा की आंखों के मानो आंसू ही सूख गए। वे कभी लोगों को देखते तो कभी परिवार वालों को। वहीं शव घर पहुंचने के बाद आसपास के गांवों के लोग अपने वीरगति को प्राप्त पुत्र की अंतिम विदाई देने के लिए सैकड़ों की संख्या में उमड़ पड़े। गम और गुस्से के बीच लोगों ने नम आंखों से अपने वीर सपूत को नमन किया। भारत माता की जय और वीर पुत्र राजेंद्र अमर रहे के नारे से गूंज उठा।
अंतिम विदाई में रो पड़ा पूरा गांव
हुतात्मा के अंतिम संस्कार से पहले बारी-बारी से परिवार के लोगों ने तिरंगे में लिपटे राजेंद्र के पार्थिव शरीर को देखा तो वातावरण गमगीन हो गया। सबसे पहले मां रामोती देवी ने अपने बेटे के अंतिम दर्शन किए, लेकिन वह अचेत हो गईं। पिता शंभूदयाल गए, लेकिन बेटे के शांत चेहरे को देख कर उनके मुंह से बोल नहीं फूट सके। मां रामोती के सब्र का बांध बेटे के मृत शरीर के पास पहुंचते ही मानो टूट गया और कहां चला गया लाल कहकर लिपटीं तो वहां उपस्थित सभी लोगों की आंखें नम हो गईं। बलिदानी राजेंद्र के दोनों मासूम बेटा-बेटी को रोते देख पूरा गांव रो पड़ा। छोटा भाई भी बड़े भाई को पुष्पांजलि अर्पित कर फूट-फूट कर रोया।
सबकी आंखें छलकीं
शव के गांव पहुंचते ही अंतिम दर्शन के लिए हजारों की संख्या में लोग पहुंचे थे। जैसे ही राजेंद्र का शव उनके घर की चौखट पर पहुंचा, मां रामोती देवी दहाड़ मार कर रोने लगीं। गमगीन माहौल के बीच सजे-धजे वाहन पर बलिदानी की पार्थिव देह को रख कर जब अंतिम यात्रा शुरु हुई तो चहेते लाल को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए सैकड़ों लोग साथ हो लिए। जब तक सूरज चांद रहेगा, राजेंद्र तुम्हारा नाम रहेगा, भारत माता की जय, वंदे मातरम आदि नारों के साथ वीरगति प्राप्त राजेंद्र की अंतिम यात्रा गांव के पास पहुंची। जहां सैन्य सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी गई। राजेंद्र को उनके बेटे योगेश ने मुखाग्नि दी।
सम्मान में जवानों की गरजी राइफल
हुतात्मा को राजकीय सम्मान देते हुए सेना के जवानों ने सशस्त्र सलामी दी और राइफल से गोलियां आसमान की ओर गरजने लगीं। इसके बाद जवानों ने राइफल को झुकाया। शहीद के पिता शंभूदयाल को राष्ट्रीय ध्वज देकर सम्मानित किया गया। जहां कलेक्टर पीयूष समारिया व एसपी अनिल बेनीवाल समेत जनप्रतिनिधियों व पूर्व सैनिक परिषद के पदाधिकारियों ने पुष्प चक्र अर्पित किए।