पंचांग 14 अप्रैल 2022
सुविचार
अजरामरवत् प्राज्ञो विद्यामर्थञ्च चिन्तयेत्।
गृहीत इव केशेषु मृत्युना धर्ममाचरेत्॥
भावार्थ
बुद्धिमान को उचित है कि वह अपने को अजर–अमर समझकर विद्या एवं धन का उपार्जन करे और मृत्यु केश पकड़े खड़ी है–यह सोचकर धर्म करे।।
।।आप सभी का दिन मंगलमय हो।।