पंचांग 16 मई 2022
सुविचार
विद्वत्त्वञ्च नृपत्वञ्च नैव तुल्यं कदाचन।
स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान् सर्वत्र पूज्यते॥
भावार्थ
विद्वता और राजपद– इन दोनों की तुलना कदापि नहीं हो सकती; राजा अपने ही देश में आदर पाता है, किन्तु विद्वान् सब जगह आदर पाता है।
॥आप सभी का दिन मंगलमय हो॥