पंचांग 18 मार्च 2021
सुविचार
आयुषः क्षण एकोऽपि, सर्वरत्नैर्न न लभ्यते।
नीयते स वृथा येन, प्रमादः सुमहानहो॥
भावार्थ
आयु का एक क्षण भी समस्त रत्नों को देने से प्राप्त नहीं किया जा सकता है, अतः समय को व्यर्थ में नष्ट कर देना सबसे बड़ी असावधानी है।
।।आप सभी का दिन मंगलमय हो।।
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