पंचांग 3 अगस्त 2021
पंचांग 3 अगस्त 2021
सुविचार
अग्निशेषमृणशेषं शत्रुशेषं तथैव च।
पुन: पुन: प्रवर्धेत तस्माच्शेषं न कारयेत्।।
भावार्थ
यदि कोई आग, ऋण, या शत्रु अल्प मात्रा अथवा न्यूनतम सीमा तक भी अस्तित्व में बचा रहेगा तो बार बार बढ़ेगा ; अत: इन्हें थोड़ा सा भी बचा नहीं रहने देना चाहिए। इन तीनों को सम्पूर्ण रूप से समाप्त ही कर डालना चाहिए।
।।आप सभी का दिन मंगलमय हो।।