पंचांग 4 फरवरी 2022
पंचांग 4 फरवरी 2022
सुविचार
प्रलये भिन्नमर्यादा भवन्ति किल सागराः।
सागरा भेदमिच्छन्ति प्रलयेऽपि न साधवः।।
भावार्थ
प्रलय आने पर सागर भी अपनी मर्यादा भूल जाता है और किनारों को तोड़कर जल–थल एक कर देता है; परन्तु साधु व सज्जन संकटों का पहाड़ टूटने पर भी मर्यादाओं का उल्लंघन नहीं करते।
।।आप सभी का दिन मंगलमय हो।।